बिलासपुर ,12 अगस्त। पूर्व क्रिकेटर और सीधे हाथ के तेज गेंदबाज टीपी सुधींद्र की याचिका पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बीसीसीआई और लोकपाल को श्रीसंत के प्रकरण की तरह तय करने का निर्देश दिया है। गौरतलब है कि सुधींद्र पर स्पॉट फिक्सिंग के आरोप हैं। पूर्व क्रिकेटर टीपी सुधींद्र ने स्पॉट फिक्सिंग में फंसने के बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करके अपने ऊपर लगे आजीवन प्रतिबंध को हटाने की मांग की थी।
क्रिकेटर टीपी सुधींद्र पर बीसीसीआई ने स्पॉट फिक्सिंग में नाम आने के बाद साल 2012 में सुधींद्र पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया था। इस बैन के खिलाफ सुधींद्र ने अपनी याचिका में कहा था कि जिस प्रकार सुप्रीम कोर्ट ने श्रीसंत के ऊपर लगे आजीवन प्रतिबंध को हटा कर उनको राहत पहुंची थी, उसी प्रकार उनपर लगे आजीवन बैन हटाया जाना चाहिए। याचिका पर सुनवाई के बाद उच्च न्यायलय ने बीसीसीआई और लोकपाल को मामला तय करने का निर्देश दिया है।
सुधीर समेत 4 पर लगा था प्रतिबंध
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश, दिल्ली और आईपीएल में डेक्कन चार्जर के सदस्य रहे क्रिकेटर टीपी सुधींद्र को 2012 में एक निजी न्यूज़ चैनल ने अपने स्टिंग ऑपरेशन में नो बॉल फेंकने के लिए 40 हजार रुपए की मांग करते हुए दिखाया था। इस प्रकरण में 4 लोगों पर बैन लगा था।
सजा कम होने से मिलेगा यह फायदा
दरअसल मध्यप्रदेश प्रीमियम लीग टी 20 टूर्नामेंट आयोजित हुई थी । इसे इंदौर जिला क्रिकेट एसोसिएशन ने आयोजित कराया था। इसी लीग में रीवा और सागर के मध्य मैच होना था। इस मैच को लेकर एक निजी न्यूज़ चैनल ने एक स्टिंग ऑपरेशन किया। इस स्टिंग ऑपरेशन में सुधींद्र को नो बॉल फेंकने के लिए 40 हजार रुपए की मांग करते दिखाया गया था । सुधींद्र पर बीसीसीआई ने आजीवन प्रतिबंध लगा रखा है। इसके अतिरिक्त वह बीसीसीआई से जुड़े किसी भी संगठन में किसी भी पद पर नहीं नियुक्त हो सकते हैं । यदि अदालत के इस निर्देश के बाद उनकी सजा घटाई जाती है तो वह आने वाले वक़्त में किसी घरेलू क्रिकेट टीम के कोच बनाये जा सकते हैं।