जगदलपुर। छत्तीसगढ़ और तेलंगाना सरकार व अफसरों के नक्सलियों को रोकने के तमाम दावे फेल हो गए हैं। जिन नक्सलियों को बैकफुट पर बताया जा रहा था, वही तेलंगाना की सीमा पार कर छत्तीसगढ़ में घुस आए। न केवल इन नक्सलियों ने पहली बार साथियों की याद में 64 फीट ऊंचा स्मारक बना दिया, बल्कि 12 हजार ग्रामीणों को साथ लेकर विशाल रैली भी निकाल दी। खास बात यह है कि इसमें 50 लाख से एक करोड़ रुपए तक के इनामी नक्सली शामिल थे। बावजूद इसके पुलिस और इंटेलिजेंस को खबर तक नहीं लगी।
64 फीट ऊंचा स्मारक बनाया।
दरअसल, नक्सलियों ने बस्तर में 3 अगस्त को शहीदी सप्ताह मनाया था। इस दौरान दक्षिण बस्तर के एक गांव में हजारों की संख्या में हथियारबंद नक्सली पहुंचे। उन्होंने ग्रामीणों को एकत्र किया और 8 से 10 किमी तक रैली निकाल दी। इस दौरान नक्सलियों की टीम CNM यानी चेतना नाट्य मंडली ने बाकायदा नाच-गाना किया और नक्सल क्रांति के गीत गए। बताया जा रहा है कि करीब 12 से 15 साल बाद नक्सलियों ने बस्तर में इतना बड़ा आयोजन किया है।
भारी संख्या में महिला नक्सली भी मौजूद थीं।
नक्सलियों के इस आयोजन में छत्तीसगढ़ और तेलंगाना इन दोनों राज्यों के माओवाद संगठन के टॉप लीडर्स भी शामिल हुए। नक्सलियों के साथ जिन ग्रामीणों ने रैली निकाली वे अपने साथ खाना बनाने के लिए बर्तन, राशन समेत अन्य सामान भी लेकर पहुंचे थे। लगभग 10 घंटे तक नक्सलियों का यह आयोजन चलता रहा। इस दौरान सभा भी हुई। इतने बड़े आयोजन का पता भी तब लगा जब नक्सलियों ने इसके वीडियो और फोटो खुद जारी किए।
कई किमी तक रैली निकाली गई।
पिछले 8 महीनों से चल रही थी तैयारी
सूत्रों के अनुसार, बस्तर के जंगलों में नक्सलियों के इस आयोजन को लेकर 8 महीने से तैयारी चल रही थी। बड़े लीडर्स ने दक्षिण बस्तर में सुकमा-बीजापुर इलाके में CG-तेलंगाना राज्य की सीमा के नजदीक एक जगह को निर्धारित किया। ग्रामीणों की मदद से मंच बनाया। नक्सली हर साल 28 जुलाई से 3 अगस्त तक शहीदी सप्ताह मानते हैं। बस्तर के कई अंदरुनी गांवों में सभा का आयोजन कर मारे गए माओवादियों को श्रद्धांजलि देते हैं, पर अब तक यह आयोजन छोटे स्तर पर ही होता था।
जहां मंच बनाया गया था वहां जाते ग्रामीण और नक्सली।
बैकफुट पर नक्सली, फिर इतना बड़ा आयोजन कैसे?
छत्तीसगढ़ और तेलंगाना सरकार लगातार यह दावा कर रही है कि बस्तर में माओवादी अब बैकफुट हो गए हैं। जो नक्सल प्रभावित जिले हैं वहां पुलिस की पैठ बढ़ रही है। IB स्ट्रांग है। माओवादी सरेंडर कर रहे हैं। उनकी संख्या कम हो रही है। काफी हद तक नक्सलियों को पीछे धकेला गया है। दोनों राज्यों के बॉर्डर इलाकों में सुरक्षाबलों के कई कैंप भी खोले गए हैं। इसके बावजूद नक्सलियों ने बार्डर पार किया और बस्तर में ही बड़ा आयोजन कर डाला।
करीब 12 हजार ग्रामीण पहुंचे थे।
क्या कोई बड़े हमले की तैयारी में हैं नक्सली?
सालभर से बस्तर में माओवादी किसी बड़ी घटना को अंजाम देने में कामयाब नहीं हो पाए हैं। पुलिस के साथ मुठभेड़ में कई हार्डकोर नक्सली मारे गए हैं। नक्सलियों की हर प्लानिंग को जवानों ने विफल किया है। सिविक एक्शन के तहत ग्रामीणों का भरोसा जीत रहे हैं। ऐसे में माओवादियों में भी बौखलाहट है। बस्तर में बड़े लीडरों समेत सैकड़ों हथियारबंद माओवादियों का जमावड़ा होने की यह भी एक वजह हो सकती है कि माओवादी ग्रामीणों की मदद से बस्तर में किसी बड़े हमले की रणनीतियां बना रहे हों।
रैली निकालती महिलाएं।
इस मामले में बस्तर के IG सुंदरराज पी ने कहा कि हमारा इंटेलिजेंस कमजोर नहीं है। हमने पिछले कुछ महीनों में ही ऐसी जगहों पर कैंप स्थापित किया है जहां आना-जाना भी मुश्किल था, विकास पहुंचाया है और यह सिलसिला जारी है। अब ऐसे इलाकों में कोई भी व्यक्ति आना-जाना कर सकता है। उन्होंने कहा कि, तेलंगाना के नक्सलियों का बस्तर में जमावड़ा होना यह आश्चर्य की बात नहीं है। वैसे भी नक्सली बाहर से ही आए हैं। हमने मुठभेड़ में कइयों को ढेर भी किया है। नक्सली हर साल अपना शहीदी सप्ताह मनाते हैं। ग्रामीणों पर दबाव बनाते हैं और अपनी सभा में शामिल करते हैं।