रायपुर। छत्तीसगढ़ में राज्य कर्मचारियों की तबादला नीति को एक-दो दिनों में मंजूरी मिल सकती है। इसको सुलझाने के लिए बनी मंत्रियों की उप समिति ने दो बैठकों के बाद अपनी सिफारिश मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भेज दी है। बताया जा रहा है, इसमें अधिकतर प्रावधान पुरानी नीतियों जैसे ही हैं। उप समिति ने तबादले का कोटा 10% से अधिक करने की सिफारिश की है।
छत्तीसगढ़ में कोरोना संकट की वजह से दो साल से कर्मचारियों के तबादले पर रोक लगी हुई है। इसकी वजह से कर्मचारियों में नाराजगी बढ़ रही है। विधानसभा के मानसून सत्र शुरू होने से पहले राज्य कैबिनेट की बैठक में तबादला नीति पर शुरुआती चर्चा हुई थी। उसके बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू की अध्यक्षता में मंत्रिमंडलीय उप समिति का गठन कर दिया। इसमें वन मंत्री मोहम्मद अकबर, शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया और महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंडिया को भी रखा गया।
20 जुलाई को समिति की पहली बैठक विधानसभा परिसर में ही हुई। सोमवार को समिति की दूसरी बैठक हुई। इसमें तबादला नीति के प्रस्ताव को अंतिम रूप दे दिया गया। बताया जा रहा है, इस प्रारूप को उप समिति की टिप्पणी के साथ मुख्यमंत्री सचिवालय भेजा गया है। मुख्यमंत्री अगर इसका अनुमोदन कर देते हैं तो यह जारी कर दी जाएगी।
तबादलों में मंत्रियों की चलेगी
बताया जा रहा है, नई तबादला नीति में मंत्रियों को महत्व दिया गया है। विभागीय मंत्री अखिल भारतीय सेवा को छोड़कर प्रथम और द्वितीय श्रेणी के अधिकारियों के तबादले कर सकेंगे। वहीं प्रभारी मंत्री के अनुमोदन से कलेक्टर तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों का तबादला कर पाएंगे।
कोटा बढ़ाने की सिफारिश हुई है
अभी तक की तबादला नीति में किसी संवर्ग के कर्मचारियों की अधिकतम सीमा उनकी संख्या के 10% तक सीमित हुआ करती थी। मंत्रियों की चर्चा में आया कि दो साल से तबादला हुआ ही नहीं है। ऐसे में बहुत से कर्मचारियों को समायोजित करना पड़ सकता है। इसलिए यह कोटा 10% से बढ़ाया जाना चाहिए। इसकी सीमा क्या होगी इसका खुलासा अभी नहीं हो पाया है।