उज्जैन में क्यों रात को नहीं रुकते कोई मंत्री, मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री, जानिए क्या है मिथक 

उज्जैन। बाबा महाकाल के दर्शन करने के लिए देश की बड़ी-बड़ी हस्तियों से लेकर राजनीतिक पदों पर आसीन मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक आते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि उज्जैन में बाबा महाकाल का दर्शन करने के बाद कोई भी बड़ा नेता यहां रात नहीं गुजारता है. ऐसी मान्यता है कि जो भी नेता यहां रात्रि विश्राम करता है, उसकी सत्ता में वापसी नहीं हो पाती है. इसलिए हर मंत्री, मुख्यमंत्री बाबा महाकाल के दरबार में रात गुजारने से डरते हैं. आइए जानते हैं क्या है इसके पीछे का रहस्य?

जानिए क्या है मान्यता
बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन के बारे में यह मान्यता बहुत लंबे समय से चली आ रही है, कि जो भी भक्त बाबा महाकाल के दरबार में रात गुजारते हैं, उनकी सत्ता में वापसी नहीं हो पाती है. दरअसल बाबा महाकाल को उज्जैन का राजाधिराज माना जाता है. इसलिए ऐसी मान्यता है कि बाबा महाकाल के दरबार में एक साथ दो राजा नहीं रूक सकते हैं. अगर कोई मंत्री या मुख्यमंत्री गलती से भी यहां रात गुजारता है तो उसकी सत्ता में वापसी की राह मुश्किल हो जाती है.

जानिए किसे-किसे भुगतना पड़ा खामियाजा
पंरपरागत चली आ रही मिथक के अनुसार जो भी नेता या मंत्री बाबा महाकाल के दरबार में रात्रि विश्राम करते हैं, उनकी कुर्सी छिन जाती है. ऐसा कहा जाता है कि भारत के चौथे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई एक रात उज्जैन में रुके थे और दूसरे दिन ही उनकी सरकार गिर गई थी. वहीं कर्नाटक के मुख्मंत्री येदियुरप्पा भी उज्जैन में रात्रि विश्राम किए थे, जिसके 20 दिन बाद उन्हें अपने पद से त्याग पत्र देना पड़ा था.

कब से है यह मान्यता
अवंतिका नगरी उज्जैन राजा विक्रमादित्य के समय राज्य की राजधानी थी. मंदिर से जुड़े रहस्य और सिंहासन बत्तीसी के मुताबिक राजा भोज के समय से ही कोई भी राजा उज्जैन में रात्रि विश्राम नहीं करता है. 

जानिए क्या है मंदिर का इतिहास
पौराणिक मान्यता अनुसार उज्जैन में दूषण नामक राक्षस का आतंक फैला हुआ था. लोग उससे त्रस्त होकर शंकर जी से रक्षा के लिए आराधना करने लगे. जिसके बाद शिवजी ने महाकाल रूप में प्रकट होकर दूषण नामक दैत्य का वध किया. दैत्य से छुटकारा देने के बाद लोगों ने बाबा महाकाल से उज्जैन में निवास करने की बात कही, जिसके बाद भगवान शिव ने यह बात मानकर वहां ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हो गए.

जानिए कैसे हुआ मंदिर का निर्माण
उज्जैन के बाबा महाकाल मंदिर का निर्माण रानाजिराव शिंदे ने 1736 में करवाया था. इसके बाद श्रीनाथ महाराज महादजी शिंदे और महारानी बायजाबई शिंदे ने इस मंदिर में समय-समय पर मरम्मत करवाई और कई बदलाव किए.