
रायपुर । टिकरापारा इलाके में अंडे का छोटा सा ठेला लगाने वाला वीरेंद्र सिंह तोमर उर्फ रूबी आज करोड़ों का आसामी है। ऑटो में घूमने वाला रुबी अब बीएमडब्ल्यू, थार और फॉर्चुनर जैसी महंगी गाड़ियों में घूमता है। कभी टिकरापारा में किराए के घर पर रहता था, आज खुद की 5 हजार से वर्गफीट ज्यादा बड़ी जगह में बनी आलीशान कोठी में रहता है।
घर में कुर्सी-टेबल से लेकर सजावटी सामान तक बेहद कीमती है। वह राजाओं के सिंहासन जैसी सिंगल कुर्सी पर बैठता है। शहर के पॉश इलाके व आउटर में उसकी कई प्रॉपर्टी और फार्म हाउस है।
टिकरापारा पुलिस के अनुसार रुबी पहले रिश्तेदार के साथ चौराहे पर अंडे का ठेला लगाता था। 19 साल पहले पहली बार उसका नाम आजाद चौक इलाके में चाकूबाजी में आया। फायरिंग से चर्चा में आया। यह घटना तब हुई थी जब वीरेंद्र ने शादी में देने के लिए उधार में फर्नीचर खरीदा था। पेमेंट नहीं करने पर कारोबारी से विवाद हुआ। इसी विवाद में फायरिंग हुई थी और गोली लगने से एक की मौत हो गई थी।
बाद वीरेंद्र ने कारोबारी को मारी गोली
वीरेंद्र ने करीबी रिश्तेदार की शादी में देने के लिए उधार में फर्नीचर खरीदा, लेकिन पेमेंट नहीं किया। कारोबारी फर्नीचर उठाने पहुंच गया। इसी बात पर विवाद हुआ और उसने फायरिंग कर दी। वहां से गुजर रहे एक व्यक्ति को गोली लगी और उसकी मौत हो गई।
10 गुना ब्याज की वसूली, नहीं तो प्रॉपर्टी हड़प ली
दोनों भाई छोटे-छोटे कारोबारियों को 10 प्रतिशत ब्याज पर पैसा उधार देकर उनसे 10 गुना तक पैसा वसूलते हैं, जो लोग पैसा नहीं दे पाते उनकी प्रॉपर्टी जबरदस्ती अपने नाम करवा लेते हैं। भाठागांव में इस तरह कई जमीन अपने नाम करवा ली है।
कार्रवाई से बचने कई संगठनों से जुड़े
पुलिस की कार्रवाई से बचने के लिए वीरेंद्र कई संगठन और संस्थाओं से जुड़ गया है। वह संगठन को हर साल लाखों रुपए का चंदा देता है। वह इसी तरह करणी सेना से भी जुड़ गया। उसकी आड़ में अवैध कारोबार करने लगा। उससे 100 से ज्यादा युवा जुड़े हुए हैं, जो उसके लिए काम करते हैं।
स्पा सेंटर में वीडियो बनाकर ब्लैकमेलिंग
जिन लोगों को वह ब्याज में पैसा देता था, उनका वीडियो बनाकर ब्लैकमेलिंग भी करता था। एक कारोबारी को स्पा सेंटर भेजकर अश्लील वीडियो बना लिया। फिर कारोबारी को ब्लैकमेलिंग करने लगा। यहां तक पैसा नहीं देने वालों का अपहरण कर मारपीट, महिलाओं से दुष्कर्म व छेड़खानी तक की शिकायतें हैं।
यूपी, बिहार के लोगों के नाम पर सूदखोरी
वीरेंद्र और रोहित की आय का मुख्य साधन सूदखोरी है। घर पर नोट गिनने की मशीन लगा रखी है। अंडा ठेला चलाने के दौरान वह कुछ बैंक कर्मियों के संपर्क में आया। फिर उसने यूपी, बिहार में रहने वाले रिश्तेदार व परिचितों के नाम पर बड़ी गाड़ियां फायनेंस कराई। उन गाड़ियों को नेपाल ले जाकर बेच दिया। उन पैसों को ब्याज में चलाने लगा और करोड़ों रुपए वसूले।