भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को लेकर चर्चा तेज, पहले बड़े राज्यों में होंगे बदलाव; नया नेतृत्व बनाने की कवायद

नई दिल्ली। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की नियुक्ति को लेकर चर्चा तेज है। इसी बीच एक बड़ी खबर सामने आ रही है कि भाजपा अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की नियुक्ति से पहले आने वाले दिनों में कई प्रमुख राज्यों में अपने अध्यक्षों का चुनाव करने की योजना बना रही है, ताकि नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया को शुरू किया जा सके। पार्टी नेतृत्व उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और कर्नाटक जैसे बड़े राज्यों में जल्दी अध्यक्षों का चुनाव कराना चाहता है, ताकि पिछले साल सितंबर में शुरू हुई सदस्यता अभियान से जुड़ी संगठनात्मक प्रक्रिया पूरी हो सके।

19 राज्यों में अध्यक्षों के चुनाव की संभावना
अब बात अध्यक्षों की चुनाव की करें तो भाजपा पार्टी के संविधान के अनुसार, पार्टी को अपनी आधी राज्य इकाइयों में संगठनात्मक चुनाव पूरी करने होते हैं। इसका मतलब है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले कम से कम 19 राज्यों में नए अध्यक्षों का चुनाव होना चाहिए। पार्टी के पास कुल 37 संगठनात्मक राज्य हैं।

पार्टी के सदस्यता अभियान की शुरुआत सितंबर में हुई थी और यह माना जा रहा था कि इस साल जनवरी-फरवरी तक नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव हो जाएगा। लेकिन कई राज्यों में अध्यक्षों के चुनाव में देरी के कारण इस प्रक्रिया में समय लग रहा है। पार्टी इस देरी को अपनी सहयोगी आरएसएस को विश्वास में लेकर और आम सहमति बनाने की कोशिश के रूप में देख रही है।

इन राज्यों में हो बदलाव की संभावना तेज
भाजपा मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में मौजूदा अध्यक्षों भूपेंद्र सिंह और वी डी शर्मा की जगह नए चेहरे को अध्यक्ष बना सकती है। वहीं, कर्नाटक में पार्टी बी वाई विजयेंद्र को अध्यक्ष पद पर बनाए रख सकती है। इसके अलावा, गुजरात, ओडिशा और पंजाब जैसे राज्यों में भी भाजपा को अपने नए अध्यक्षों का चुनाव करना है।

अखिलेश के कटाक्ष पर शाह का जवाब
गौरतलब है कि भाजपा को राष्ट्रीय अध्यक्ष की चुनाव में देरी को लेकर कई बार विपक्षी दलों से कटाक्ष का सामने करना पड़ा है। इससे पहले अभी समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि पार्टी भारत की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करती है, लेकिन अब तक अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव नहीं कर पाई है। इसके बाद गृह मंत्री अमित शाह ने जवाब देते हुए कहा कि कुछ पार्टियों में केवल एक परिवार के पांच सदस्य ही अध्यक्ष का चुनाव करते हैं, इसलिए वहां यह प्रक्रिया जल्दी हो जाती है। लेकिन भाजपा को एक ऐसी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, जिसमें करोड़ों सदस्य शामिल होते हैं, इसलिए इसमें समय लगता है।