गुलामी से आजादी या वोटबैंक पर नजर…, दिल्ली में नाम बदलने की पीछे क्या है वजह?

नईदिल्ली : दिल्ली में जब से सरकार बदली है, कई इलाकों के नाम बदलने की मांग भी हो रही है. पहले मुस्तफाबाद का नाम बदलने की मांग हुई. इस नाम बदलो अभियान का दूसरा एपिसोड भी गुरुवार को दिल्ली विधानसभा में रिलीज हुआ. दिल्ली के कुछ इलाकों के नाम बीजेपी विधायकों की आंखों में खटक रहे हैं. इसलिए हो सकता है आने वाले वक्त में नजफगढ़ का नाम नाहरगढ़ हो जाए. मोहम्मदपुर को माधवपुर या माधोपुरम कहा जाने लगे. नाम बदलने की मांग करने वाले विधायकों और बीजेपी का कहना है कि पुराने नाम गुलामी की याद दिलाते हैं.

ऐसा नहीं है कि दिल्ली की बीजेपी सरकार पहली बार ऐसा करने जा रही है. इससे पहले भी कई राज्यों में कई स्थानों के नाम बदले जा चुके हैं. ये समय-समय पर तकरीबन हर सरकार करती आई है. अकेले यूपी की बात करें तो बसपा, सपा और भाजपा सरकार ने कई स्थानों के नाम बदले हैं. हालांकि, नाम बदलने के मामले में यूपी का योगी मॉडल सुर्खियों में रहता है. नाम बदलने के पीछे एक पॉलिटिकल साइकोलॉजी भी होती है, जिसका सीधा असर लोगों पर होता है.

बात करें दिल्ली की तो यहां बीजेपी के कुछ विधायकों ने गुरुवार को विधानसभा में नाम बदलने की मांग उठाई. बीजेपी विधायकों के इस नाम बदलो अभियान ने सियासी शोले भी भड़का दिए हैं. आम आदमी पार्टी कह रही है कि सरकार हालात नहीं बस नाम बदलने में लगी है. नाम बदलने वाली मांग के पीछे बीजेपी के विधायक कई तर्क दे रहे हैं और इसे इतिहास से जोड़कर देख रहे हैं.

अब इस मांग को पूरा करना चाहिए

नजफगढ़ की विधायक नीलम पहलवान का कहना है कि नजफगढ़ का नाम मुगल सूबेदार नजफ खान के नाम पर रखा गया, जिसे अब बदल देना चाहिए. राजा नाहर सिंह के नाम पर नजफगढ़ का नाम रखा जाना चाहिए क्योंकि 1857 की क्रांति में उन्होंने अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी थी. विधायक अनिल शर्मा का कहना है कि मोहम्मदपुर का नाम बदलने की मांग लंबे समय से हो रही है और अब इस मांग को पूरा करना चाहिए, क्योंकि दिल्ली नगर निगम भी इसका नाम बदलने का प्रस्ताव भेज चुका है.

हिंदू आबादी की भावनाओं का सम्मान हो

कुछ ऐसा ही तर्क मुस्तफाबाद के विधायक मोहन बिष्ट का भी है.उनका कहना है कि इलाके की 60 प्रतिशत अबादी हिंदू है. ऐसे में बहुसंख्यक हिंदू आबादी की भावनाओं का सम्मान होना चाहिए. मुस्तफाबाद का नाम शिवपुरी या शिवविहार कर देना चाहिए. जिस रफ्तार से दिल्ली में नाम बदलने की मांग आगे बढ़ रही है, हो सकता है ऐसी मांग दिल्ली के कुछ और इलाकों में भी उठने लगे.

दिल्ली बीजेपी ने एक पोस्ट में कहा, गुलामी के अंधेरे से उजाले की ओर. विधायक नीलम पहलवान ने प्रस्ताव रखा है कि नजफगढ़ का नाम बदलकर नाहरगढ़ किया जाना चाहिए. विधायक अनिल शर्मा ने मोहम्मदपुर गांव का नाम बदलकर माधवपुरम करने की मांग उठाई. इस पर मोहम्मदपुर के कुछ लोगों ने गांव का नाम बदलने के प्रस्ताव का स्वागत किया.

नाम बदलने से कोई फायदा नहीं होने वाला

पूर्व वार्ड पार्षद भगत सिंह टोकस का कहना है कि साल 2021 में हमने एमसीडी में अपने गांव का नाम बदलकर माधवपुरम करने का प्रस्ताव पारित किया था. इसे तत्कालीन आम आदमी पार्टी की सरकार को भेजा था लेकिन कोई एक्शन नहीं हुआ. हम कई पीढ़ी से इसकी मांग कर रहे हैं. मौजूदा नाम गुलामी की याद दिलाता है.

उधर, कुछ लोगों का कहना है कि नाम बदलने से कोई फायदा नहीं होने वाला. सरकार को विकास और अपने वादों को पूरा करने पर फोकस करना चाहिए. सरकार 300 यूनिट मुफ्त बिजली और महिलाओं को हर महीने 2 हजार 500 रुपये की मदद दे. विकास पर फोकस होना चाहिए.