नई दिल्ली। एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देश में कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने एक व्यक्ति और उसकी अलग रह रही पत्नी के बीच के विवाद में यह टिप्पणी की। दरअसल व्यक्ति के वकील ने अदालत में कहा कि महिला आईपीएस अधिकारी है और इस वजह से उसके मुवक्किल को हमेशा परेशानी झेलनी पड़ेगी। इस पर जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा कि ‘देश में कोई भी कानून से ऊपर नहीं है’।
पीठ ने कहा- आपस में बैठकर विवाद सुलझा लें
पीठ ने कहा कि दोनों पक्षों को आपस में बातचीत कर विवाद को खत्म करने की कोशिश करनी चाहिए। पीठ ने कहा कि ‘वह एक आईपीएस अधिकारी है और आप एक व्यवसायी हैं। ऐसे में अदालत में अपना समय बर्बाद करने से अच्छा है कि आप दोनों बैठकर इस विवाद को खत्म कर लें। अगर किसी को पीड़ित किया जाता है तो उसकी सुरक्षा के लिए हम हैं।’ व्यक्ति के वकील ने कहा कि उसके मुवक्किल और उसके पिता के खिलाफ आईपीएस अधिकारी महिला ने केस दर्ज कराया था, जिसके चलते दोनों को जेल हुई। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जून 2022 में अपने आदेश में व्यक्ति के माता-पिता के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को खत्म करने का निर्देश दिया था। उच्च न्यायालय के इस निर्देश के खिलाफ आईपीएस अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की।
सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के वकील ने आरोप लगाया कि आईपीएस अधिकारी ने पुलिस सेवा जॉइन करते समय गलत घोषणा पत्र दिया था कि उनके खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं है, जबकि उस वक्त महिला अधिकारी के खिलाफ दो मामले दर्ज थे। इस पर पीठ ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि ‘ऐसा लगता है कि आप अपनी जान बचाने से ज्यादा इस बात में इच्छुक हैं कि महिला अधिकारी की नौकरी कैसे जाए। लेकिन महिला अधिकारी का जीवन बर्बाद करने के चक्कर में आपका खुद का भी जीवन बर्बाद होगा।’ पीठ ने कहा कि अगर महिला अधिकारी ने कुछ गलत किया है तो उसका फैसला गृह मंत्रालय करेगा। पीठ अब दो हफ्ते बाद इस मामले की सुनवाई करेगी।