नईदिल्ली : टेस्ट की एक और पारी, रोहित शर्मा पर भारी. अगर आप ये सोचकर बैठे थे कि मेलबर्न टेस्ट की दूसरी पारी में नजारा कुछ बदलेगा. 30 दिसंबर की सुबह जब आप सोकर उठेंगे तो रोहित की बल्लेबाजी में कुछ बदला-बदला सा दिखेगा, तो माफ कीजिएगा ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. रोहित ने बेशक गेंदों के हिसाब से बीते 2 महीनों में अपनी सबसे लंबी टेस्ट इनिंग खेली, मगर रनों के मामले में वो एक बार फिर से फिसड्डी ही रहे. टेस्ट क्रिकेट में लगातार नाकामियों ने रोहित की नाक में दम तो कर ही रखा था, मेलबर्न वाली इनिंग के बाद अब उनके सफेद जर्सी में मैदान पर वापसी में भी सवालिया निशान लग रहे हैं.
सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि क्या मेलबर्न टेस्ट, रोहित शर्मा का आखिरी होने वाला है? क्या रोहित शर्मा सिडनी में होने वाला अगला टेस्ट नहीं खेलेंगे? ये वो सवाल हैं जिनके जवाब मेलबर्न टेस्ट के नतीजे में छिपे हैं. भारत अगर मेलबर्न टेस्ट जीतता है तो हो सकता है कि रोहित, सिडनी में भी कप्तानी करते दिखें. लेकिन, अगर हारा तो खबरें ऐसी चल रही हैं कि सिडनी टेस्ट में कप्तानी की बागडोर बुमराह को सौंपी जा सकती है. बीते दिनों एक रिपोर्ट भी थी कि चीफ सेलेक्टर अजीत अगरकर ऑस्ट्रेलिया में मौजूद ही इसी वजह से हैं कि वो रोहित शर्मा के टेस्ट करियर पर फैसला ले सकें.
बहरहाल, अब ये जानना जरूरी है कि रोहित शर्मा पर उंगलियां क्यों तनी हैं? इस अहम सवाल के तार सिर्फ मेलबर्न टेस्ट की पारी से नहीं जुड़ी है. बल्कि, ये तो रोहित के पिछले कई टेस्ट मैचों में एक जैसे प्रदर्शन का असर है. वो प्रदर्शन जिससे कोई भी पीछा छुड़ाना चाहेगा. अब रोहित का तो अपने खराब फॉर्म से पीछा छूट नहीं रहा तो भारतीय टीम मैनेजमेंट ही चाहेगा कि रोहित से अलग हो लिया जाए.
टेस्ट क्रिकेट में बल्लेबाजी में रोहित शर्मा की विफलता का खेल इसी से समझा जा सकता है कि उन्होंने जितने रन नहीं मौजूदा बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी में बनाए हैं. करीब-करीब उतने विकेट जसप्रीत बुमराह ने अपने नाम कर लिए हैं. रोहित शर्मा ने 3 टेस्ट की 5 पारियों में 6.20 की औसत से सिर्फ 31 रन बनाए हैं. जबकि. बुमराह ने 30 विकेट लिए हैं. साफ है कि बुमराह के लिए विकेटों से सिर्फ एक ज्यादा है रोहित के रनों की संख्या. खैर, ये तो हुई पहली वजह, जिसके चलते रोहित शर्मा के टेस्ट करियर पर तलवार लटकी है.
दूसरी वजह, रोहित को संन्यास की ओर धकेलने की ये है कि सवाल सिर्फ मौजूदा बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में ही रोहित की असफलता का नहीं है. बल्कि उन्होंने पहले भी ऐसे ही नाकामियों का दौर देखा है. रोहित शर्मा की अगर पिछली 15 टेस्ट पारियों की बात करें तो उन्होंने वहां भी कुछ खास परफॉर्म नहीं किया. रोहित ने पिछली 15 टेस्ट पारियों में 10.93 की औसत से केवल 164 रन बनाए हैं, जिसमें उनका बेस्ट स्कोर 23 रन का रहा है. मतलब शतक तो दूर की बात है अर्धशतक भी भारतीय कप्तान से नहीं लग रहा.
रोहित शर्मा की बल्लेबाजी तो फेल है ही. कप्तानी में भी हाथ उतने ही तंग है. पर्थ में भारत ने पहला टेस्ट जीता क्योंकि कमान जसप्रीत बुमराह के हाथ में थी. लेकिन, जैसे ही एडिलेड में रोहित में कप्तानी की बागडोर संभाली, टीम को हार का सामना करना पड़ा. ब्रिसबेन में खेला तीसरा टेस्ट ड्रॉ हुआ, जिसमें बारिश की बड़ी मेहरबानी रही. इतना ही नहीं, इससे पहले घर में न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज में भी रोहित की कप्तानी सवालों के घेरे में रही थी, जब भारत को क्लीन स्वीप का शिकार होना पड़ा था.
अब इतने सारे लूपहोल्स होंगे तो सवाल तो उठेंगे ही. लोग संन्यास की बातें तो करेंगे ही. वहीं हो भी रहा है. सोशल मीडिया पर रोहित शर्मा का संन्यास ट्रेंड में हैं. सोशल मीडिया पर छाई ये बातें सच का लिबास ओढ़ लें तो हैरानी होगी भी नहीं. लेकिन, उससे पहले ये देखना जरूरी है कि मेलबर्न टेस्ट में भारत का क्या होता है? इस टेस्ट के नतीजे से ही असली पिक्चर क्लियर होगी.