बिलासपुर । छत्तीसगढ़ में विवादित सहायक शिक्षक भर्ती को लेकर दायर अवमानना याचिका पर हाईकोर्ट ने एक बार फिर से सरकार को अंतिम मौका दिया है। इस बार शासन को DLEd डिग्रीधारियों की नियुक्ति प्रक्रिया 15 दिन में पूरी करने के लिए कहा है। इस दौरान राज्य शासन ने 2885 पदों की लिस्ट दी है, जिस पर जस्टिस अरविंद वर्मा की बेंच ने राज्य शासन के साथ ही हस्तक्षेप कर्ताओं की सभी आपत्तियों को खारिज कर दिया है।
दरअसल, राज्य शासन ने नियमों को दरकिनार कर BEd डिग्रीधारी अभ्यर्थियों को सहायक शिक्षकों के पद पर नियुक्ति दे दी है। मामले में डीएलएड डिग्रीधारी अभ्यर्थियों की याचिका पर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भर्ती को अवैध बताया है। कोर्ट ने अयोग्य शिक्षकों की नियुक्ति निरस्त करने का आदेश दिया है। इसके बाद भी राज्य शासन ने अब तक नियुक्ति निरस्त नहीं की है। DLEd अभ्यर्थियों की नियुक्ति नहीं की है। इसी को लेकर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है।
हाईकोर्ट बोला- अब कोई बहाने नहीं चलेगी
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही सरकार की एसएलपी खारिज कर चुका है। हाई कोर्ट ने भी कई बार निर्देश दिए, लेकिन अब भी प्रक्रिया लंबित है। सरकार के वकील ने मिड सेशन में नई नियुक्तियों से समस्या होने की बात कही, जिस पर कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद समय बढ़ाने का अधिकार हाईकोर्ट को नहीं है। हाईकोर्ट ने इससे पहले भी सरकार को डीएड धारियों की चयन सूची पेश करने का आदेश दिया था। पिछली सुनवाई में 21 दिनों के भीतर सूची तैयार करने को कहा गया था, लेकिन सरकार की ओर से समय सीमा के भीतर कोई कार्रवाई नहीं हुई। जस्टिस अरविंद वर्मा ने कहा कि आदेश का पालन कब तक होगा, बता दीजिए, अब इस केस में कोई बहानेबाजी नहीं चलेगी। या तो सुप्रीम कोर्ट का स्टे आर्डर ले आइए या फिर आदेश का पालन करिए।
2855 BEd डिग्रीधारियों की नियुक्ति होगी निरस्त
हाईकोर्ट के आदेश पर शासन ने BEd डिग्रीधारी सहायक शिक्षकों को बाहर करने की तैयारी पूरी कर ली है। प्राइमरी स्कूलों में पदस्थ ऐसे शिक्षकों को नौकरी से बाहर करने लिस्टिंग की है, जिसकी जानकारी हाईकोर्ट को दी गई है। राज्य शासन ने 2855 शिक्षकों की सूची हाईकोर्ट में दी है। केस की सुनवाई के दौरान DLEd डिग्रीधारियों की तरफ से कहा गया कि सरकार ने सूची बना ली है। लेकिन, आदेश जारी नहीं किया है।
984 पदों की नहीं दी जानकारी
इस केस की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की तरफ से यह भी कहा गया है कि शासन ने 984 पदों को स्पष्ट नहीं किया है। इसे भी स्पष्ट किया जाना चाहिए। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सभी अयोग्य शिक्षकों की नियुक्ति निरस्त करने के साथ ही योग्य DLEd अभ्यर्थियों को नियुक्ति आदेश जारी किया जाए।