तीरंदाज हरविंदर ने जीता सोना, 1.5 साल की उम्र में चली गई थी पैरों की गतिशीलता, जानिए कहानी

नईदिल्ली : पेरिस पैरालंपिक में भारतीय एथलीट्स का जलवा जारी है। बुधवार को तीरंदाज हरविंदर सिंह ने पुरुष रिकर्व के फाइनल में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। अब पेरिस पैरालंपिक में भारत के 22 पदक हो गए हैं। इनमें चार स्वर्ण, आठ रजत और 10 कांस्य हैं। इसी के साथ भारत पैरालंपिक की पदक तालिका में 15वें स्थान पर पहुंच गया है। हरविंदर ने फाइनल में पोलैंड के लुकास सिसजेक को 6-0 से हराकर स्वर्ण पदक जीता। यह तीरंदाजी में भारत का पहला पैरालंपिक स्वर्ण पदक है और साथ ही उनका दूसरा पैरालंपिक पदक भी है। हरविंदर के लिए इस मुकाम तक पहुंचना आसान नहीं रहा। उन्होंने संघर्षों से कभी मुंह नहीं मोड़ा और परेशानियों का डटकर सामना किया। उनकी कहानी तमाम लोगों के लिए प्रेरणादायक है।

कौन हैं हरविंदर?
हरविंदर सिंह का जन्म 25 फरवरी 1991 को हरियाणा के कैथल में हुआ था। अजीत नगर के किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले हरविंदर जब डेड़ साल के थे तो उन्हें डेंगू हो गया था और इसके उपचार के लिए उन्हें इंजेक्शन लगाए गए थे। दुर्भाग्य से इन इंजेक्शन के कुप्रभावों से उनके पैरों की गतिशीलता चली गई।

चुनौतियों से नहीं मानी हार
शुरुआती चुनौतियों के बावजूद वह तीरंदाजी में आ गए और 2017 पैरा तीरंदाजी विश्व चैंपियनशिप में डेब्यू में सातवें स्थान पर रहे। फिर 2018 जकार्ता एशियाई पैरा खेलों में स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहे और कोविड 19 महामारी के कारण लगे लॉकडाउन में उनके पिता ने अपने खेत को तीरंदाजी रेंज में बदल दिया ताकि वह ट्रेनिंग कर सकें।

अर्थशास्त्र में पीएचडी की डिग्री ले रहे हैं हरविंदर
हरविंदर ने तीन साल पहले टोक्यो पैरालंपिक में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया था। यह भारत का पहला तीरंदाजी पदक था। तीरंदाजी में सफलता के साथ वह अर्थशास्त्र में पीएचडी की डिग्री भी ले रहे हें। जून 2024 में पैरा तीरंदाजी विश्व रैंकिंग स्पर्धा में उन्होंने चेक गणराज्य में कांस्य पदक जीता था। इससे पहले अप्रैल 2024 में विश्व तीरंदाजी ओशिनिया 2024 पैरा ग्रैंड प्रिक्स में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में कांस्य पदक जीता था।

हरविंदर ने टोक्यो में जीता था कांस्य
हरविंदर सिंह ने टोक्यो पैरालंपिक में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया था। यह तीरंदाजी में भारत का पैरालंपिक का पहला पदक था। उन्होंने कोरियाई तीरंदाज को शूट ऑफ में 6-5 से पीछा छोड़ा और पदक अपने नाम किया था।