नईदिल्ली : वित्त मंत्रालय की तरफ से 28 अगस्त को जारी किए गए सलाह में कहा गया है कि यह स्पष्ट किया जाता है कि समलैंगिक समुदाय के व्यक्तियों के लिए संयुक्त बैंक खाता खोलने और समलैंगिक संबंध में किसी व्यक्ति को नामित करने पर कोई प्रतिबंध नहीं है, ताकि खाताधारक की स्थिति में खाते में शेष राशि प्राप्त की जा सके। सुप्रिया चक्रवर्ती और अन्य बनाम भारत संघ (रिट याचिका सिविल संख्या 1011/2022) के मामले में 17 अक्टूबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मद्देनजर मंत्रालय की ओर से समलैंगिक, उभयलिंगी और ट्रांसजेंडर समुदाय (एलजीबीटी समुदाय) के लिए यह सलाह दी गई है।
2015 में आरबीआई ने बैंकों को दिए थे निर्देश
वित्त मंत्रालय के तहत वित्तीय सेवा विभाग की तरफ से जारी परामर्श में कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 21 अगस्त, 2024 को सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को इस संबंध में स्पष्टीकरण भी जारी किया है। आरबीआई ने 2015 में बैंकों को निर्देश दिया था कि वे अपने सभी फॉर्म और आवेदनों में एक अलग कॉलम ‘थर्ड जेंडर’ शामिल करें, ताकि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को बैंक खाते खोलने और संबंधित सेवाओं का लाभ उठाने में मदद मिल सके।
कई बैंकों ने ट्रांसजेंडर के लिए शुरू कीं सेवाएं
2015 के आदेश के बाद, कई बैंकों ने ट्रांसजेंडर के लिए सेवाएं शुरू कीं। वहीं ईएसएएफ स्मॉल फाइनेंस बैंक लिमिटेड ने 2022 में विशेष रूप से ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए ‘रेनबो सेविंग्स अकाउंट’ लॉन्च किया, जिसमें उच्च बचत दरों और उन्नत डेबिट कार्ड सुविधाओं समेत कई सुविधाएं दी गईं।
केंद्र ने अप्रैल 2024 में गठित किया एक पैनल
17 अक्टूबर, 2023 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, केंद्र ने अप्रैल 2024 में समलैंगिक समुदाय से संबंधित कई मुद्दों की जांच करने के लिए कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति का गठन किया। पैनल को उन उपायों की जांच करने का काम सौंपा गया था, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि वस्तुओं और सेवाओं तक पहुंच में LGBTQ+ लोगों के खिलाफ कोई भेदभाव न हो और यह भी कि LGBTQ+ समुदाय को हिंसा, उत्पीड़न या जबरदस्ती का कोई खतरा न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं।