हैजा: स्वदेशी टीका तीसरे चरण की जांच में सफल, जल्द होगा उपलब्ध; एक वर्ष से अधिक आयु के बच्चों को दिया जा सकेगा

Indigenous cholera vaccine to soon available in country Bharat Biotech found safe third testing phase

नई दिल्ली। भारत ने नौनिहालों को जानलेवा हैजा संक्रमण से बचाने के लिए स्वदेशी टीका खोजा है, जो तीसरे चरण की जांच में पूरी तरह सुरक्षित पाया गया। हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक कंपनी ने टीका के परीक्षण परिणाम सार्वजनिक करते हुए बताया कि जल्द ही यह टीका भारत सहित पूरी दुनिया के लिए उपलब्ध होगा।

हैजा संक्रमण के खिलाफ भारत बायोटेक ने स्वदेशी टीका को हिलचोल नाम दिया है, जिसके लिए सिंगापुर स्थित हिलमैन लेबोरेटरी से लाइसेंस लिया है। पोलियो की तरह यह टीका भी मौखिक तौर पर बच्चों को दिया जा सकता है। कंपनी का दावा है कि एक साल में करीब 20 करोड़ खुराक का उत्पादन करने की क्षमता है। कंपनी के मुताबिक, हिलचोल टीके से हर साल दुनियाभर में चार करोड़ खुराक की कमी को पूरा करने की योजना है।

2021 के बाद मामलों में दोगुनी रफ्तार से हो रही वृद्धि
दुनिया में हैजा घातक होता जा रहा है। 2021 के बाद हर साल इसके मामलों में करीब दोगुनी रफ्तार से वृद्धि देखी जा रही है। 2022 में 4.73  लाख मामले सामने आए थे, जो 2021 की तुलना में दोगुने से अधिक थे। वहीं, 2023 के प्रारंभिक आंकड़ों में सात लाख से अधिक मामले सामने आए हैं। 2022 की तुलना में 2023 में हैजे के मामलों में 48 फीसदी इजाफा हुआ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने आगाह किया है कि साफ पानी, साबुन, शौचालय और टीके की कमी के कारण लाखों लोगों पर हैजे का खतरा मंडरा रहा है।

10 वर्षों में सबसे अधिक मृत्यु दर
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, 2022 में 44 देशों में हैजे के मामले दर्ज किए गए, जबकि 2021 में 35 देशों ने इसके मामलों की जानकारी दी थी। यही प्रवृत्ति 2023 में भी जारी रही। पिछले 10 वर्षों के दौरान इससे मृत्युदर भी सबसे अधिक रही। वर्तमान में इससे सबसे गंभीर रूप से प्रभावित देशों में डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, इथियोपिया, हैती, सोमालिया, सूडान, सीरिया, जाम्बिया, जिम्बाब्वे और दक्षिण पूर्वी एशिया हैं। डब्ल्यूएचओ ने हैजे में हो रही इस अप्रत्याशित वृद्धि के लिए साफ पानी और स्वच्छता तक पहुंच में लगातार अंतराल को भी जिम्मेदार माना है।

कैसे फैलता है हैजा?
हैजा पानी से फैलने वाला एक ऐसा रोग है, जो दूषित जल पीने या दूषित खाना खाने से फैलता है। इस महामारी को फैलाने के लिए ‘विब्रियो कालरी’ नामक बैक्टीरिया को जिम्मेदार माना जाता है। ये बैक्टीरिया दुनिया के कई तटीय इलाकों और खासकर घनी आबादी वाले उष्ण कटिबंधीय इलाकों में पाया जाता है। इस बैक्टीरिया की खासियत ये है कि यह गर्म और हल्के नमकीन पानी में आसानी से जिंदा रह सकता है।