बिलासपुर। अधिग्रहण के बिना पीडब्ल्यूडी ने दो किसानों की जमीन पर कब्जा कर लिया और सड़क भी बना दी। किसानों ने जब भू अधिग्रहण अधिनियम के तहत जमीन के मुआवजे की मांग की तो अफसरों ने उनकी नहीं सुनी। इस मामले में हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी अधिकारियों ने चार तक मामले का निराकरण नहीं किया। अब न्यायालय की अवमानना केस में आईएएस, एसडीएम सहित अन्य अधिकारियों को हाईकोर्ट ने 3 सितंबर को उपस्थित होने का आदेश दिया है।
पीड़ित किसानों ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से पूर्व कलेक्टर नुपूर राशि पन्ना सहित आधा दर्जन अधिकारियों को पक्षकार बनाते हुए अवमानना याचिका दायर की है। दायर याचिका में किसानों ने कहा है कि, कोर्ट के आदेश के बाद भी अफसरों ने मुआवजा राशि का वितरण नहीं किया है। ऐसा कर कलेक्टर सहित अधिकारियों ने न्यायालयीन आदेश की अवेहलना की है। मामले की सुनवाई जस्टिस एनके व्यास के सिंगल बेंच में हुई। कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने अधिकारियों को अवमानना के लिए दोषी माना है।
हाईकोर्ट ने चार महीने में प्रकरण निपटाने दिया था आदेश
अविभाजित जांजगीर-चाम्पा जिला के ग्राम अंडी पोस्ट किरारी निवासी नेतराम भारद्वाज व भवानीलाल भारद्वाज की जमीन पर बिना अधिग्रहण पीडब्ल्यूडी ने सड़क निर्माण कर दिया। भू स्वामियों ने कलेक्टर जांजगीर के समक्ष विधिवत जमीन अधिग्रहण कर मुआवजा दिलाने आवेदन प्रस्तुत किया। आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं होने से उन्होंने अधिवक्ता योगेश चंद्रा के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका पेश की। नवंबर 2022 में जस्टिस आरसीएस सामंत ने सुनवाई में पाया कि याचिकाकर्ताओं की भूमि 2012 में ली गई है। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को 15 दिवस के अंदर अभ्यावेदन देने एवं उत्तरवादी कलेक्टर एवं भू अर्जन अधिकारी को चार महीने के भीतर दावे की जांच कर अधिग्रहण के लिए कार्यवाही शुरू कर तय समय सीमा के भीतर मुआवजा निर्धारित कर भुगतान का आदेश दिया था। लेकिन, इसके बाद भी पीड़ित किसानों को मुआवजा राशि नहीं दी गई।
इन अधिकारियों ने की न्यायालय के आदेश की अवमानना
पूर्व कलेक्टर सक्ती नूपुर राशि पन्ना, राकेश द्विवेदी अनुविभागीय अधिकारी (पीडब्ल्यूडी) सक्ती, रूपेंद्र पटेल अनुविभागीय दंडाधिकारी मालखरौदा, रेना जमील मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत एवं प्रज्ञा नंद कार्यकारी अधिकारी (पीडब्ल्यूडी) ब्रिज जगदलपुर को पक्षकार बनाया गया है। बता दें कि अवमानना मामले में छह महीने की सजा और जुर्माने का प्रावधान हाईकोर्ट ने किया है।