आदिवासी बोले- बीजापुर मुठभेड़ फर्जी, निर्दोष ग्रामीण मारे गए, कहा- तेंदूपत्ता तोड़ने गए थे, तभी पुलिस ने दौड़ा-दौड़ाकर मारा

बीजापुर। बीजापुर, सुकमा और दंतेवाड़ा इन 3 जिलों की सीमा पर स्थित पीडिया गांव में 10 मई को हुई मुठभेड़ को कांग्रेस और सर्व आदिवासी समाज के लोग फर्जी बता रहे हैं। पुलिस पर आरोप लगाए गए हैं कि तेंदूपत्ता तोड़ने गए ग्रामीणों पर पुलिस ने फायरिंग की है। मारे गए लोग ग्रामीण थे। वहीं, पुलिस ने 12 नक्सलियों के ढेर होने का दावा किया। इन पर 31 लाख रुपए का इनाम था।

गोलीबारी में उसी इलाके के 15 साल के नाबालिग लड़के को भी पैर में 3 गोलियां लगी हैं। उसका कहना है कि तेंदूपत्ता तोड़ने अपने दोस्तों और गांव वालों के साथ जंगल गया था। उसी समय गोलियां चलीं। वहां नक्सली नहीं थे। पुलिस ने दौड़ा-दौड़ा कर मारा है। नाबालिग ने कहा कि गोली लगने के बाद वह चट्टान के बीच छिप गया था। उसके साथ के लोग भाग गए थे।

परिजन और गांव वालों ने कहा कि जब फायरिंग रुकी और फोर्स गांव से लौटी तो वे लोग नाबालिग को ढूंढ़ने निकले थे। जंगल में उसे काफी खोजा गया। वह चट्टान के पास बेसुध हालत में मिला था। जिसे खाट के सहारे अस्पताल लाया गया।


पीडिया गांव बीजापुर-सुकमा-दंतेवाड़ा जिलों की सीमा पर बैलाडीला की पहाड़ी के नीचे बसा हुआ है। दुर्गम और पहुंच विहीन क्षेत्र है। न नेटवर्क है, न सड़क है। यह इलाका नक्सलियों का गढ़ माना जाता है। यहां नक्सलियों का स्कूल और ट्रेनिंग सेंटर चलता है।

नए लड़ाकों की भर्ती यहीं होती हैं। यहां गुरिल्ला ट्रेनिंग देकर लड़ाकों को एरिया कमेटी में भेजा जाता है। घने जंगलों के बीच बसे इस इलाके को नक्सली अपना सबसे सुरक्षित ठिकाना मानते थे।

मुठभेड़ स्थल पर दर्जनों पेड़ों पर गोलियों के निशान और जगह-जगह खून के धब्बे भी मिले हैं। पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है। पुलिस ने जिन नक्सलियों को मारा है, ऐसा बताया जा रहा है कि उनमें ज्यादातर शादीशुदा थे और उनके दुधमुंहे बच्चे भी हैं।

परिजन का आरोप है कि इनका नक्सलियों से कोई नाता नहीं था। वे सिर्फ तेंदूपत्ता तोड़ने के लिए जंगल गए थे। पुलिस ने फर्जी एनकाउंटर किया है।

वहीं, अलग-अलग लोकेशन से पुलिस ने 12 माओवादियों के शव उठाने का दावा किया है। पुलिस ने कहा है कि, क्रॉस फायरिंग में एक ग्रामीण भी घायल हुआ है, जिसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इस एनकाउंटर के बाद अब गांव में दहशत का भी माहौल है।

नक्सलियों ने कहा- 2 उनके साथी, 10 बेगुनाह

इस मुठभेड़ को लेकर नक्सलियों ने भी प्रेस नोट जारी किया है। पश्चिम बस्तर डिवीजन कमेटी के सचिव मोहन ने कहा कि, मारे गए 12 लोगों में 2 उनके साथी थे। पुनेम कल्लू और उइके बुधु किसी बीमारी से जूझ रहे थे। इसलिए सिविल कपड़े में गांव में थे। जबकि, अन्य 10 लोग निर्दोष आदिवासी हैं।