गणतंत्र दिवस से पहले 34 हस्तियों को पद्म पुरस्कार, छत्तीसगढ़ से इन लोगों के नाम शामिल

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नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर गुरुवार को पद्म पुरस्कारों का ऐलान किया गया। असम की रहने वाली देश की पहली महिला महावत पार्वती बरुआ और जागेश्वर यादव समेत 34 हस्तियों को अवॉर्ड दिया गया है। इसके अलावा लिस्ट में चार्मी मुर्मू, सोमन्ना, सर्वेश्वर, सांगथाम समेत कई बड़े नाम शामिल हैं।छत्तीसगढ़ के दो लोगों को भी पद्म पुरस्कार से नवाजा गया है. इनमें जागेश्वर यादव और हेमचंद मांझी शामिल हैं। इससे पहले 23 जनवरी को सरकार ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का ऐलान किया था।

पद्मश्री
1. पारबती बरुआ (सामाज सेवा, असम, उम्र- 67 साल)- 
भारत की पहली महिला हाथी महावत, जिन्होंने रूढ़िवादिता से उबरने के लिए 14 साल की उम्र में जंगली हाथियों को वश में करना शुरू किया था। उन्हें सामाजिक कार्य (पशु कल्याण) के क्षेत्र में पद्म श्री के लिए चुना गया है।
2. जागेश्वर यादव (सामाजिक कार्य, छत्तीसगढ़, उम्र- 67 साल)- जशपुर के आदिवासी कल्याण कार्यकर्ता जागेश्वर यादव को सामाजिक कार्य (आदिवासी पीवीटीजी) के क्षेत्र में पद्म श्री दिया जाएगा। उन्होंने हाशिये पर पड़े बिरहोर पहाड़ी कोरवा लोगों के उत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।

3. चामी मुर्मू (सामाजिक कार्य, झारखंड, उम्र- 52 साल)- सरायकेला खरसावां की आदिवासी पर्यावरणविद् और महिला सशक्तिकरण चैंपियन चामी मुर्मू को सामाजिक कार्य (पर्यावरण वनीकरण) के क्षेत्र में पद्म श्री दिया जाएगा।
4. गुरविंदर सिंह (सामाजिक कार्य, हरियाणा, उम्र- 53 साल)- बेघर, निराश्रितों, महिलाओं, अनाथों और दिव्यांगजनों की भलाई के लिए काम करने वाले सिरसा के दिव्यांग सामाजिक कार्यकर्ता गुरविंदर सिंह को सामाजिक कार्य (दिव्यांगजन) के क्षेत्र में पद्मश्री प्राप्त होगा।
5. सत्यनारायण बेलेरी (अन्य, केरल, उम्र-50 साल)- कासरगोड के चावल किसान सत्यनारायण बेलेरी को अन्य (कृषि अनाज चावल) के क्षेत्र में पद्म श्री के लिए चुना गया। उन्होंने 650 से अधिक पारंपरिक चावल किस्मों को संरक्षित करके धान की फसलों के संरक्षक के रूप में सामने आए।
6. दुखू माझी (सामाजिक कार्य, पश्चिम बंगाल, उम्र- 78 साल)- पुरुलिया के सिंदरी गांव के आदिवासी पर्यावरणविद् दुखू माझी को सामाजिक कार्य (पर्यावरण वनीकरण) के क्षेत्र में पद्मश्री दिया जाएगा। उन्होंने हर दिन अपनी साइकिल पर नए गंतव्यों की यात्रा करते हुए बंजर भूमि पर 5,000 से अधिक बरगद, आम और ब्लैकबेरी के पेड़ लगाए।
7. के चेल्लम्मल (अन्य, अंडमान व निकोबार, उम्र- 69 साल)- दक्षिण अंडमान के जैविक किसान के. चेल्लम्मल (नारियल अम्मा) को अन्य (कृषि जैविक) के क्षेत्र में पद्मश्री मिला। उन्होंने 10 एकड़ का जैविक फार्म सफलतापूर्वक विकसित किया।
8. संगथंकिमा (सामाजिक कार्य, मिजोरम, उम्र- 63 साल)- मिजोरम के सबसे बड़े अनाथालय ‘थुतक नुनपुइटु टीम’ चलाने वाले आइजोल के एक सामाजिक कार्यकर्ता संगथंकिमा को सामाजिक कार्य (बाल) के क्षेत्र में पद्मश्री दिया जाएगा।
9. हेमचंद मांझी (चिकित्सा, छत्तीसगढ़, उम्र- 70 साल)- नारायणपुर के पारंपरिक औषधीय चिकित्सक हेमचंद मांझी को चिकित्सा (आयुष पारंपरिक चिकित्सा) के क्षेत्र में पद्मश्री दिया जाएगा। उन्होंने पांच दशकों से अधिक समय से ग्रामीणों को सस्ती स्वास्थ्य सेवा प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने 15 साल की उम्र से जरूरतमंदों की सेवा शुरू कर दी थी। 

10. यानुंग जमोह लेगो (अन्य, अरुणाचल प्रदेश, उम्र- 58 साल)- यानुंग जमोह लेगो पूर्वी सियांग स्थित हर्बल चिकित्सा विशेषज्ञ हैं। उन्होंने 10,000 से अधिक रोगियों को चिकित्सा देखभाल की है। एक लाख व्यक्तियों को औषधीय जड़ी-बूटियों के बारे में शिक्षित किया है। एसएचजी को प्रशिक्षित किया है। उन्हें अन्य (कृषि औषधीय पौधों) के क्षेत्र में पद्मश्री के लिए चुना गया है।
11. सोमन्ना (सामाजिक कार्य, कर्नाटक, उम्र- 66 साल)- सामाजिक कार्य (आदिवासी पीवीटीजी) के क्षेत्र में पद्मश्री के लिए मैसूरु के एक जनजातीय कल्याण कार्यकर्ता सोमन्ना को चुना गया है। उन्होंने जेनु कुरुबा जनजाति के उत्थान के लिए चार दशकों से अधिक समय से अथक प्रयास कर रहे हैं।
12. प्रेमा धनराज (चिकित्सा, कर्नाटक, उम्र- 72 साल)- प्रेमा धनराज प्लास्टिक रिकंस्ट्रक्टिव सर्जन सामाजिक कार्यकर्ता हैं। जले हुए पीड़ितों की देखभाल और पुनर्वास के लिए काम करती हैं। उनकी विरासत आगे बढ़ रही है। रोकथाम, जागरूकता और नीति सुधार के लिए अथक परिश्रम कर रही हैं। उन्हें मेडिसिन (स्वदेशी बर्न्स) के क्षेत्र में पद्मश्री दिया जाएगा।

अब पढ़िए पद्मश्री विजेताओं की पूरी लिस्ट…

नाम कार्यक्षेत्रराज्य 
पार्वती बरुआभारत की पहली महिला हाथी महावतअसम 
चामी मुर्मूप्रसिद्ध आदिवासी पर्यावरणविद्झारखंड 
संगथंकिमा सामाजिक कार्यकर्तामिजोरम 
जागेश्वर यादवआदिवासी कल्याण कार्यकर्ताछत्तीसगढ़ 
गुरविंदर सिंहदिव्यांग सामाजिक कार्यकर्ताहरियाणा 
सत्यनारायण बेलेरीकासरगोड के चावल किसानकेरल 
दुखु माझीआदिवासी पर्यावरणविद्पश्चिम बंगाल 
के चेल्लाम्मल जैविक किसानअंडमान निकोबार 
हेमचंद मांझीनारायणपुर के चिकित्सकछत्तीसगढ़ 
यानुंग जमोह लेगोहर्बल चिकित्सा विशेषज्ञअरुणाचल प्रदेश
सोमन्नामैसूरु के आदिवासी कल्याण कार्यकर्ताकर्नाटक 
सरबेश्वर बसुमतारीचिरांग के आदिवासी किसानअसम 
प्रेमा धनराजप्लास्टिक सर्जन और सामाजिक कार्यकर्ताकर्नाटक 
उदय विश्वनाथ देशपांडेअंतर्राष्ट्रीय मल्लखंभ कोचमहाराष्ट्र 
यज़्दी मानेकशा इटालियासिकल सेल एनीमिया में विशेषज्ञ माइक्रोबायोलॉजिस्टगुजरात 
शांति देवी पासवान और शिवन पासवानमधुबनी चित्रकारबिहार 
रतन कहारभादू लोकगायकपश्चिम बंगाल 
अशोक कुमार विश्वासविपुल टिकुली चित्रकारबिहार 
बालकृष्णन सदनम पुथिया वीटिलप्रतिष्ठित कल्लुवाझी कथकली नर्तककेरल 
उमा माहेश्वरी डीमहिला हरिकथा प्रतिपादकआंध्रपदेश 
गोपीनाथ स्वैनकृष्ण लीला गायकओडिशा 
स्मृति रेखा चकमाशॉल बुनकरत्रिपुरा 
ओमप्रकाश शर्मामाच थिएटर कलाकारएमपी 
नारायणन ई पी फोक डांसर (थेय्यम)केरल 
भागवत पधान सबदा नृत्य लोक नृत्य विशेषज्ञओडिशा 
सनातन रुद्र पालप्रतिष्ठित मूर्तिकारपश्चिम बंगाल 
बदरप्पन एमवल्ली ओयिल कुम्मी लोक नृत्य के प्रतिपादकतमिलनाडु 
जॉर्डन लेप्चा बांस शिल्पकारसिक्किम 
माचिहान सासाउखरुल का लोंगपी कुम्हारमणिपुर 
गद्दाम सम्मैयाप्रख्यात चिंदु यक्षगानम थिएटर कलाकारतेलंगाना 
जानकीलाल भीलवाड़ा के बहरूपिया कलाकारराजस्थान 
दसारी कोंडप्पाबुर्रा वीणा वादकतेलंगाना
बाबू राम यादवपीतल मरौरी शिल्पकारयूपी 
नेपाल चंद्र सूत्रधारछऊ मुखौटा निर्मातानेपाल

पिछले साल 106 पद्म पुरस्कारों का हुआ था एलान
इससे पहले पिछले साल राष्ट्रपति ने 106 पद्म पुरस्कारों को मंजूरी दी थी, इनमें 6 पद्म विभूषण, 9 पद्म भूषण और 91 पद्म श्री शामिल थे। 19 पुरस्कार विजेता महिलाएं थीं। पुरस्कार पाने वालों में 19 महिलाएं हैं। सात लोगों को मरणोपरांत इस सम्मान के लिए चुना गया है। पद्म सम्मान देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक हैं और यह तीन श्रेणियों- पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री में प्रदान किए जाते हैं।

पहले जानें पद्म पुरस्कारों के बारे में

  • भारत सरकार ने देश के दो सर्वोच्च नागरिक सम्मान – भारत रत्न और पद्म पुरस्कारों की शुरुआत वर्ष 1954 में की थी। 
  • इन पुरस्कारों से देश-विदेश के उन लोगों को सम्मानित किया जाता है, जिन्होंने किसी क्षेत्र में कोई प्रतिष्ठित व असाधारण कार्य किया हो, जिसमें लोक सेवा का तत्व जुड़ा हो।
  • हर साल गणतंत्र दिवस के मौके पर इन पुरस्कारों की घोषणा की जाती है। फिर मार्च या अप्रैल में होने वाले समारोह में राष्ट्रपति द्वारा विजेताओं को सम्मानित किया जाता है।
  • सामान्यत: मरणोपरांत ये पुरस्कार दिए जाने का प्रावधान नहीं है। लेकिन कुछ विशिष्ट मामलों में सरकार के पास ये निर्णय लेने का पूरा अधिकार है।
  • नियम के अनुसार, किसी को अगर वर्तमान में पद्मश्री दिया गया है, तो फिर उसे पद्म भूषण या पद्म विभूषण अब से पांच साल बाद ही दिया जा सकता है। लेकिन यहां भी कुछ विशिष्ट मामलों में पुरस्कार समिति छूट दे सकती है।
  • जिस दिन समारोह में राष्ट्रपति द्वारा सम्मान दिया जाता है, उसके बाद सभी विजेताओं के नाम भारत के राजपत्र में प्रकाशित किए जाते हैं।


पहले क्या थे पुरस्कारों के नाम

  • 1954 में जब भारत रत्न के साथ पद्म पुरस्कारों की शुरुआत हुई, तब सिर्फ पद्म विभूषण नाम अस्तित्व में आया था। पद्मश्री और पद्म भूषण नहीं।
  • पद्म विभूषण के अंतर्गत ही पहला वर्ग, दूसरा वर्ग और तीसरा वर्ग के नाम से विजेताओं को सम्मान दिया जाता था।
  • हालांकि ये नामकरण सिर्फ एक साल ही चलन में रहा। फिर 8 जनवरी 1955 को राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी अधिसूचना में इन पुरस्कारों को पद्मश्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण नाम दिया गया।