भारत में कोरोना ने आठ महीनों का रिकॉर्ड तोड़ा, एक दिन में 752 केस दर्ज; चार लोगों की मौत

Covid-19 cases in india highest in the past seven months jn.1 Faster incubation period

नई दिल्ली। भारत सहित दुनिया के कई देशों में पिछले कुछ दिनों से कोरोना संक्रमण के मामलों में अचानक वृद्धि रिपोर्ट की जा रही है। चीन में नवंबर में बढ़े संक्रमण के मामलों के बाद सिंगापुर और फिर भारत में भी हालात बिगड़ने की खबर है। शनिवार (23 दिसंबर) के आंकड़ों की बात करें तो देश में कोरोना संक्रमण के दैनिक मामलों ने करीब आठ महीनों की रिकॉर्ड तोड़ दिया है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में शुक्रवार को एक दिन में 752 मामले दर्ज किए गए हैं, जो 21 मई के बाद सबसे अधिक है। इसके साथ देश में कोरोना के सक्रिय मामले 3,000 का आंकड़ा पार कर 3,420 हो गए हैं। पिछले 24 घंटों में चार लोगों की मौत (दो केरल से और एक-एक राजस्थान और कर्नाटक) भी हुई है।

कोविड-19 के बढ़ते मामलों में के लिए दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहे JN.1 वैरिएंट को प्रमुख कारण माना जा रहा है। अब तक हुए अध्ययनों में कोरोना के इस वैरिएंट को ओमिक्रॉन के पिछले वैरिएंट्स से मिलता-जुलता ही बताया गया है, पर कुछ बातें हैं जो JN.1 वैरिएंट की प्रकृति को खतरनाक बनाती हैं। आइए जानते हैं।

क्या कहते हैं स्वास्थ्य संगठन?

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) सहित दुनिया के तमाम स्वास्थ्य संगठनों का कहना है कि कोरोनावायरस अपने आपको जीवित रखने के लिए लगातार म्यूटेट हो रहा है। JN.1 उसी की एक रूप है। संक्रमण की वर्तमान शीतकालीन लहर ने अचानक से चिंता जरूर बढ़ा दी है पर ज्यादातर रोगियों में इस वैरिएंट के कारण हल्के लक्षण ही देखे जा रहे हैं, बड़ी संख्या में लोग घर पर रहकर ठीक भी हो रहे हैं। हालांकि JN.1 में अतिरिक्त म्यूटेशन के कारण इसके कारण तेजी से संक्रमण बढ़ने का जोखिम जरूर देखा जा रहा है। 

क्या JN.1 के लक्षण पहले के वैरिएंट्स से अलग हैं?

इस नए सब-वैरिएंट को लेकर हुए अब तक के अध्ययनों से पता चलता है कि JN.1 वैरिएंट से संक्रमित लोगों में भी उसी तरह की दिक्कतें देखी जा रही हैं जैसा कि ओमिक्रॉन के पहले के वैरिएंट्स में थी। सीडीसी ने जेएन.1 की प्रकृति पर चर्चा करते हुए एक रिपोर्ट में कहा, लक्षणों के प्रकार और वे कितने गंभीर हो सकते हैं, यह आमतौर पर किसी व्यक्ति की प्रतिरक्षा और समग्र स्वास्थ्य पर निर्भर करता है, न कि वैरिएंट पर। फिर भी ज्यादातर लोगों में बुखार, गले में दर्द-खराश, सर्दी-जुकाम जैसी दिक्कतें ही देखी जा रही हैं।

इनक्यूबेशन पीरियड बढ़ा रहा है चिंता

JN.1 की प्रकृति को समझने के लिए किए गए अध्ययनों में पाया गया है कि इसका इनक्यूबेशन पीरियड जरूर चिंता का कारण हो सकता है। इनक्यूबेशन पीरियड वह समय होता है जो किसी व्यक्ति के रोग पैदा करने वाले जीव (जैसे बैक्टीरिया, वायरस या कवक) के संपर्क में आने के बाद संक्रमण के लक्षण विकसित होने में लगता है।

नए कोरोना वैरिएंट्स में ट्रैक किया गया है कि इनके इनक्यूबेशन पीरियड में क्रमिक गिरावट आई है। सीडीसी द्वारा प्रकाशित शोध में पाया गया कि यह समय औसतन 2 से 3 दिन तक कम हो सकता है।