नई दिल्ली। कांग्रेस के नेता रणदीप सुरजेवाला आरोप लगाते हैं कि मॉब लिंचिंग करने वालों को बड़ी रियायत दी गई है। उन्होंने दावा किया भाजपा सरकार ने मॉब लिंचिंग के लिए सबसे कम सजा को घटाकर सात साल कर दिया है।
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने लोकसभा में पेश किए तीन विधेयकों पर न्यायाधीशों, वकीलों, न्यायविदों, सुधारकों और आम जनता के बीच चर्चा कराने की रविवार को मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि तीन नए विधेयकों पर समूचे देश के लोगों को गुमराह किया गया है। उनका दावा है कि मोदी सरकार ने बीते दिनों जो तीन विधेयक पेश किए हैं उसके बारे में खुद सरकार के बड़े जानकार न सिर्फ अनभिज्ञ हैं बल्कि हैरान हैं। उन्होंने बताया कि नए विधेयक में सीआरपीसी की जगह लिए जाने वाले भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में कई धाराएं जोड़ी गई है कई धाराएं निरस्त की गई है और कई धाराएं बदली भी गई हैं।
गृह मंत्री अमित शाह ने 11 अगस्त को मानसून सत्र के अंतिम दिन भारतीय न्याय संहिता विधेयक 2023 जो भारतीय दंड संहिता 1860 का स्थान लेगा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक जो आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 की जगह नया अधिनियम बनेगा और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 जो भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 182 को प्रतिस्थापित करेगा को लोकसभा में पेश किया।
इसको लेकर कांग्रेस के नेता रणदीप सुरजेवाला आरोप लगाते हैं कि मॉब लिंचिंग करने वालों को बड़ी रियायत दी गई है। उन्होंने दावा किया भाजपा सरकार ने मॉब लिंचिंग के लिए सबसे कम सजा को घटाकर सात साल कर दिया है। आईपीसी के तहत ऐसे अपराध के लिए सबसे कम सजा आजीवन कारावास थी। सुरजेवाला ने दावा किया कि नाबालिगों पर यौन उत्पीड़न का मुद्दा सभी प्रावधान पहले से ही मौजूद हैं और सामूहिक बलात्कार के लिए 20 साल की सजा भी है। सुरजेवाला का कहना है कि अभी इन सभी विधेयकों पर और चर्चा करने की आवश्यकता है।
कांग्रेस के नेता सुरजेवाला कहते हैं कि विधेयकों को संसद की चयन समिति को भेजा गया है। विधेयकों और इसके प्रावधानों को न्यायाधीशों, वकीलों, न्यायविदों, अपराधशास्त्रियों, सुधारकों, हितधारकों और आम जनता द्वारा बड़ी सार्वजनिक बहस के लिए खुला रखा जाना चाहिए। उनका आरोप है कि भारतीय जनता पार्टी ने जिस तरीके से कानूनों में बदलाव करने वाली धाराएं और खंडों को घटाया बढ़ाया है वह न सिर्फ लोगों के लिए बल्कि कानून के जानकारों के लिए भी समझ से परे है। उनका कहना है कि इस पर विचार तथा चर्चा की जाए।
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सीआरपीसी की जगह लेने वाले भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक में अब 533 धाराएं होंगी। उन्होंने कहा कुल 160 धाराएं बदली गई हैं, जबकि नौ नई धाराएं जोड़ी गई हैं और नौ धाराएं निरस्त की गई हैं। अमित शाह ने बताया कि भारतीय न्याय संहिता विधेयक जो आईपीसी की जगह लेगा उसमें पहले की 511 धाराओं के बजाय 356 धाराएं होंगी। 175 धाराओं में संशोधन किया गया है। 8 नई धाराएं जोड़ी गई हैं और 22 धाराएं निरस्त की गई हैं। साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने वाले भारतीय साक्ष्य विधेयक में अब पहले के 167 के बजाय 170 खंड होंगे। शाह ने कहा कि 23 खंड बदले गए हैं, एक नया खंड जोड़ा गया है और पांच निरस्त किए गए हैं।