दुर्ग। जिले में एक 33 वर्षीय युवक शशांक दास ट्रेन की चपेट में आ गया। ट्रेन की टक्कर से वह हवा में 100 फीट उछलकर दूर जा गिरा। अस्पताल में इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया। दोस्तों ने बताया कि शशांक हमेशा कान में इयर फोन लगाकर रखता था। इसी के चलते वो उनकी बात नहीं सुना और ट्रेन की चपेट में आ गया।
जानकारी के मुताबिक दुर्ग के कसारिडीह निवासी शशांक अपने दोस्त प्रियंक तिग्गा और भोजराज बघेल के साथ बुधवार दोपहर भिलाई की तरफ घूमने निकला था। तीनों प्रियदर्शनी परिसर अंडरब्रिज के पास पहुंचे। इसके बाद गाड़ी खड़ी कर रेलवे ट्रैक के उस पार चाय पीने बैठे थे। प्रियंक ने बताया कि शशांक हमेशा अपने कान में इयर फोन लगाए रखता था। मना करने पर भी वह नहीं मानता था। चाय पीने के बाद दोपहर डेढ़ से दो बजे के बीच वे रेलवे ट्रैक पार कर फिर से अंडर ब्रिज की तरफ नीचे उतर रहे थे।
प्रियंक और भोजराज रेलवे ट्रैक पार कर चुके थे पीछे शशांक आ रहा था। तभी उन्होंने देखा कि एक ट्रेन काफी स्पीड में आ रही है। उन लोगों ने शशांक को काफी आवाज लगाई लेकिन वह नहीं सुना और ट्रेन के किनारे का हिस्सा उसके पीछे से टकराया। इससे वो गेंद की तरह हवा में उछला और दूर जा गिरा। उसे काफी गहरी चोटें आईं। दोस्तों ने तुरंत एंबुलेंस को बुलाकर उसे नजदीकी अस्पताल पहुंचाया, जहां उसने दम तोड़ दिया।
अपनी पत्नी और बच्ची के साथ शशांक दास की पुरानी तस्वीर।
बच्ची के सिर से छिना पिता का साया
शशांक के बड़े भाई ने बताया कि उसकी कुछ साल पहले ही शादी हुई थी। उसको एक साल की बच्ची है। दुर्घटना में उसकी मौत होने से मासूम बच्ची अनाथ हो गई। शशांक के जाने से घरवालों को रो-रोकर बुरा हाल था। उसके शव को पीएम के लिए लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल ले जाया गया। यहां देर शाम पीएम के बाद शव परिजनों के हवाले किया गया।
मझले भाई की भी सड़क दुर्घटना में गई थी जान
शशांक तीन भाइयों में सबसे छोटा था। वह ठेका पर काम करता था। उसके बड़े भाई ने बताया कि एक साल पहले ही उनके मझले भाई की पाटन रोड में सड़क दुर्घटना में मौत हो चुकी है। शशांक भी दुर्घटना का शिकार हो गया। तीन भाइयों में अब सबसे बड़े भाई के कंधे में घर परिवार की सारी जिम्मेदारी आ गई है।