नईदिल्ली : प्रमुख इस्लामी शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद एक बार फिर से चर्चा में आ गया है. दरअसल, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने अब देवबंद के डीएम और एसपी को नोटिस भेजा है. इसमें दारुल उलूम देवबंद में बच्चों को दी जा रही तालीम पर सवाल उठाए गए हैं.
आयोग की तरफ से जारी नोटिस में कहा गया है कि बच्चों को दारुल उलूम की तरफ से फतवों को पढ़ाया जा रहा है. बच्चों को वो फतवे पढ़ाए जा रहे हैं जो वेबसाइट पर मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि यह बाल अधिकार के खिलाफ है. इससे पहले भी इन फतवों को वेबसाइट से हटाने और छात्रों के सिलेबस से हटाने को कहा जा चुका है.
आयोग ने कहा कि उन्हें दारुल उलूम देवबंद की तरफ से जारी फतवों के खिलाफ एक शिकायत भी मिली है. फतवे में ‘बहिश्ती जेवर’ नामक पुस्तक का जिक्र है, जो बच्चों के लिए आपत्तिजनक, अनुचित और अवैध है. इस फतवे को मदरसों में बच्चों को पढ़ाए जाने का भी आरोप लगा है.
एक महीने पहले दिया था नया आदेश
बता दें कि, पिछले महीने जून में दारुल उलूम देवबंद में दीनी तालीम के दौरान छात्रों को बाहर जाकर अंग्रेजी या दीगर शिक्षा से दूर रहने का नया आदेश जारी किया था. संस्थान का कहना था कि बाहर जाकर अंग्रेजी या अन्य कोर्स की पढ़ाई करने से दीनी तालीम प्रभावित होती है.
दारुल उलूम पहुंची थी SDM की टीम
इससे पहले बुधवार (19 जुलाई) को बाल संरक्षण आयोग के निर्देश पर एसडीएम संजीव कुमार के नेतृत्व में सीओ रामकरण सिंह, डीआईओएस योगराज सिंह, डीएसओ डॉ. विनिता, बीईओ डॉ. संजय डबराल की टीम दारुल उलूम पहुंची थी. टीम ने संस्था के नायब मोहतमिम मौलाना अब्दुल खालिक मद्रासी और सद्र-मुदर्रिस मौलाना अरशद मदनी से मुलाकात की थी.