Ajmer 92: ब्लैकमेल कांड की खूनी कहानी, खुलासा करने वाले पत्रकार की हत्या का बेटे ने 30 साल बाद ऐसे लिया बदला

अजमेर। देश के सबसे बड़े सेक्स स्कैंडल और ब्लैकमेलिंग कांड पर बन रही अमजेर 92 फिल्म 14 जुलाई को रिलीज हो रही है। इस फिल्म में अजमेर की उन 100 से ज्यादा लड़कियों की कहानी है जिनके साथ शहर के कई नामी लोगों ने दरिंदगी की थी। लेकिन, आज हम अजमेर ब्लैकमेलिंग कांड से जुड़ी उस खूनी कहानी के बारे में बात करेंगे जिसके बारे में आप शायद ही जानते होंगे, आइए अब कहानी पर चलते हैं…।

आज से पांच महीने पहले 7 जनवरी 2023 को अजमेर के पुष्कर में एक रिसोर्ट में अचानक गोलियां चलने लगीं, गोली लगने के बाद एक हिस्ट्रीशीटर और पूर्व नेता सवाई सिंह लहूलुहान हाल में जमीन पड़ा हुआ था। लोगों की भीड़ में एक युवक चिल्ला रहा था- ‘हमने अपने बाप की मौत का बदला ले लिया…’।  

ऐसा ही एक नजारा करीब 31 साल पहले अजमेर के जेएलएन अस्पताल में भी देखने को मिला था। अस्पताल में भर्ती स्थानीय अखबार के संपादक मदन सिंह की हत्या बदमाशों ने गोलियों से भूनकर कर दी गई थी। इन्हीं मदन सिंह के बेटे सूर्यप्रताप ने पिता की मौत का बदला लेने के लिए सवाई सिंह की हत्या की थी। सवाई सिंह, मदनसिंह की हत्या में आरोपी था, लेकिन कोर्ट ने उसे बरी कर दिया था। 

90 के दशक में हुई मदनसिंह की हत्या की कहानी अजमेर के ब्लैकमेलिंग कांड से जुड़ी हुई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार साल 1992 में अप्रैल-मई महीने में शहर के एक बड़े गर्ल्स कॉलेज की लड़कियों की न्यूड तस्वीरें सर्कुलेट होने लगीं। अच्छे और बड़े परिवारों से ताल्लुक रखने वालीं 100 से ज्यादा लड़कियों की फोटो शहर में वायरल हो गईं। जिन लड़कियों की ये तस्वीरें थी, उनके साथ लगातार दुष्कर्म-गैंगरेप हो रहा था। इन्हीं में से कुछ लड़कियां स्थानीय अखबारों के पत्रकार और संपादकों के पास पहुंच गईं। इन लड़कियों की आपबीती सुनकर हर कोई दंग रह गया। 

इन पीड़ित लड़कियों ने जिन अखबारों के संपादकों को अपनी आपबीती सुनाई थी उनमें से एक थे मदनसिंह, तब वे ‘लहरों की बरखा’ नाम के अखबार के संपादक थे। उन्होंने अपने ब्लैक एंड व्हाइट और हैंड मन्युअल ऑफसेट से पब्लिश होने वाले अखबार में ब्लैकमेलिंग कांड को लेकर सीरीज शुरू कर दी। इस सीरीज में उन्होंने पुलिस, प्रशासन के साथ ही कई के कई बड़े चेहरों को एक्सपोज कर दिया। जिसने अपने ही नहीं पूरे देश को हिला कर रख दिया था।

4 सितंबर 1992 को मदन सिंह ने अजमेर ब्लैकमेलिंग कांड की 76वीं सीरीज छापी थी। इस सीरीज के साथ उन्होंने ऐलान किया था कि 77वीं सीरीज कलर प्रिंट में छापेंगे और ब्लैकमेलिंग कांड से जुड़े कई बड़े नामों का खुलासा करेंगे। लेकिन, मदन सिंह को नहीं पता था कि उनका ये ऐलान उनके लिए मुसीबत बन जाएगा। 4 सितंबर की रात करीब दस बजे मदन अपने स्कूटर में पेट्रोल भरवाने के लिए जा रहे थे, इस दौरान उन पर कार सवार बदमाशों ने हमला कर दिया। श्रीनगर रोड पर हुए इस हमले के दौरान मदन एक नाले में कूद गए और अपनी जान बचा ली, लेकिन गोली लगने से वे घायल हो गए थे।

AJMER 92 Journalist who exposed Ajmer girls blackmailing case murdered son took revenge after 30 years

दोनों भाइयों ने मिलकर दिया था वारदात को अंजाम। – फोटो : सोशल मीडिया 

पुलिस सुरक्षा के बीच मदन सिंह को शहर के जेएलएन अस्पताल में भर्ती कराया गया। 11 सितंबर की रात चार पांच लोग अस्पताल पहुंचे और वार्ड में भर्ती मदन सिंह पर फायरिंग कर दी। ताबड़तोड़ पायरिंग में मदन को पांच गोलियां लगीं, लेकिन उनकी जाच बच गई। हालांकि, तीन दिन चले इलाज के बाद उनकी मौत हो गई। 

अस्पताल में भर्ती मदन सिंह पर हमला हुआ उस दौरान उनकी मां घीसी कंवर वहां मौजूद थे। इस हमले की इकलौती गवाह वहीं थीं। उनकी शिकायत पर पुलिस ने कांगेस के पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार जयपाल, पूर्व पार्षद सवाई सिंह और नरेंद्र सिंह सहित अन्य लोगों पर हत्या का केस दर्ज किया। पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया, लेकिन धीरे-धीरे सभी को जमानत पर छोड़ दिया गया। 

मदन सिंह दो बच्चों के पिता थे। उनकी मौत के समय उनका बड़ा बेटा धर्मप्रताप आठ और छोटा सूर्यप्रताप 7 साल का था। बच्चों की दादी घीसी कंवर अपने दोनों पोतों को उनके पिता की हत्या की कहानी सुनाती रहती थीं। धीरे-धीरे बड़े हो रहे बेटे बदले की आग में जल रहे थे।

पिता की हत्या का बदला लेने का जुनून 
सूर्यप्रताप पर अपने पिता मदन सिंह की हत्या का बदला  लेने का जुनून सवार था। 18 साल का होने पर उसने अपने भाई धर्मप्रताप के साथ मिलकर पिता की हत्या के एक आरोपी शिवहरे पर हमला कर दिया। दोनों भाईयों ने शिवहरे के साथ बुरी तरह मारपीट की और हाथ-पैर भी तोड़ दिए। इस हमले में शिवहरे पूरी तहर बेकार हो गया था, कुछ दिन बाद उसकी मौत हो गई। करीब 10 साल बाद दोनों भाइयों ने पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार जयपाल और सवाईसिंह पर फायरिंग की, लेकिन वे बच गए। पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार किया, लेकिन वे जमानत पर रिहा हो गए।

सवाई सिंह के बेटे की शादी थी
15 जनवरी 2023 को हिस्ट्रीशीटर सवाई सिंह के बेटे सूर्यदेव की शादी थी। सवाई सिंह अपने दोस्तों के साथ कार्ड बांटने नागौर गया था। वहां से वापस लौटते समय वो पुष्कर के पास एक रिसोर्ट के लॉन में बैठ गए। इस दौरान तीन चार लोग वहां आए और सवाई सिंह को गोलियां मार दी। इस दौरान एक गोली सवाई सिंह के दोस्त दिनेश को भी लगी। हमले में सुवाई सिंह की मौके पर ही मौत हो गई। इस दारौन एक हमलवार ने अपना हेलमेट निकाला और जोर-जारे से चिल्लाने लगा-हमने अपने बात मदनसिंह की हत्या का बदला ले लिया है। इसके बाद बाकी बदमाश फरार हो गए। पुलिस ने सूर्यप्रताप को गिरफ्तार किया और सवाई सिंह और दिनेश को अस्पताल पहुंचाया। डॉक्टरों ने जांच के बाद सवाई सिंह हो मृत घोषित कर दिया। 

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पत्रकार मदन सिंह अपने परिवार के साथ। – फोटो : सोशल मीडिया 

सभी आरोपी बरी, हाईकोर्ट में भी नहीं हुई थी सुनवाई
पत्रकार मदन सिंह हत्याकांड में दो अलग-अलग थानों में केस दर्ज हुए थे। एक केस  स्कूटर और दूसरा अस्पताल में हुए हमले को लेकर दर्ज किया गया था। हालांकि, बाद में पुलिस ने दोनों केस को जोड़कर जांच की। पहले हमले का ना तो कोई गवाह था और ना ही कोई ऐसास सबूत जो कोर्ट में टिक पाता। वहीं, अस्पताल में हुए हमले की गवाह मदनसिंह की मां घीसी बाई थीं। सुनवाई के दौरान कोर्ट में उनके बयानों को कांट्रडिक्ट्री बताया गया था। बाद में हाईकोर्ट ने तत्कालीन सेशन जज को घटना का सीन रिक्रिएट करने के निर्देश दिए थे। जिसकी रिपोर्ट हाईकोर्ट भेजी गई, जिसके आधार पर माना गया कि चश्मदीद घीसी बाई की बताई गई जगह खंभे के पीछे से पलंग पर सो रहे मदनसिंह को गोलियां मारना संभव नहीं था। इसी आधार पर सभी आरोपी अजमेर फास्ट ट्रैक कोर्ट से बरी हो गए थे।  

सवाई सिंह था हिस्ट्रीशीटर बदमाश
मृतक सवाई सिंह हिस्ट्रीशीटर था। उसके खिलाफ 22 केस दर्ज थे। जिनमें 5 केस जानलेवा हमले के थे। एक केस हत्या का और बाकी 16 मामले लूट, चोरी, अवैध हथियार, मारपीट सहित आदि के दर्ज थे।

सूर्यप्रताप के खिलाफ 11 से अधिक केस 
सवाई सिंह की हत्या के आरोपी सूर्यप्रताप सिंह के खिलाफ 11 से अधिक केस दर्ज हैं। इनमें हत्या, आर्म्स एक्ट, जमीनों पर अवैध कब्जा और मारपीट सहित अन्य मामले शामिल हैं। वहीं सूर्यप्रताप के भाई धर्मप्रताप सिंह पर भी 7 केस दर्ज हैं।