रायपुर। आदिवासी नेता नंदकुमार साय कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम साय को कांग्रेस की सदस्यता दिलाई है। राजीव भवन में वन मंत्री मो अकबर,प्रेमसाय सिंह टेकाम, अनिला भेड़िया, सत्यनारायण शर्मा समेत कई नेता मौजूद हैं।
रविवार को बीजेपी से इस्तीफा देने के बाद आज कांग्रेस में शामिल हो गए। भूपेश बघेल ने कहा,आज अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस है। और ऐसे समय में जिन्होंने गरीबों और आदिवासियों के लिए संघर्ष किया। ऐसे नंद कुमार साय आज कांग्रेस में शामिल हुए हैं। इसलिए उन्हें बधाई देता हूं।
आज सुबह क्या हुआ जानिए…
बीजेपी के सीनियर नेता विष्णु देव साय और संगठन महामंत्री पवन साय समेत कुछ और नेता नंदकुमार साय के निवास पहुंचकर उनसे मुलाकात करने का प्रयास किया। लेकिन उन्हें जानकारी दी गई कि, वह दिल्ली में हैं। जब उनसे फोन से संपर्क करवाने को कहा गया तो कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। निवास पर नंद कुमार साय के बेटे से मुलाकात हुई, और फिर बीजेपी नेता लौट गए।
आदिवासी नेता साय ने अपने इस्तीफे में लिखा है, मुझ पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं। मेरी गरिमा को लगातार ठेस पहुंचाई जा रही है, जिससे मैं आहत महसूस कर रहा हूं। उन्होंने अपना इस्तीफा स्वीकार करने का आग्रह करते हुए कहा था कि बहुत गहराई से विचार करने के बाद मैंने बीजेपी में अपने सभी पद और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया।
चार दशक से ज्यादा पुराना नाता बीजेपी से तोड़ा
तीन बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा सांसद और तीन बार के विधायक रहे साय पूर्व में छत्तीसगढ़ और अविभाजित मध्य प्रदेश दोनों में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। साय ने अपने त्यागपत्र में आरोप लगाया कि उनके सहयोगी साजिश रच रहे थे। और उनकी छवि खराब करने के लिए झूठे आरोप लगा रहे थे। जिससे उन्हें बहुत दुख हुआ।
नंदकुमार साय का राजनीतिक सफर
बीजेपी के प्रमुख आदिवासी चेहरा एवं उत्तरी छत्तीसगढ़ से ताल्लुक रखने वाले साय पहली बार 1977 में मध्य प्रदेश में तपकरा सीट (अब जशपुर जिले में) से जनता पार्टी के विधायक चुने गए थे। वह 1980 में भाजपा की रायगढ़ जिला इकाई के प्रमुख चुने गए। और 1985 में तपकरा से भाजपा विधायक चुने गए।
1989, 1996 और 2004 में रायगढ़ से लोकसभा सदस्य और 2009 और 2010 में राज्यसभा सदस्य चुने गए। साय 2003-05 तक छत्तीसगढ़ भाजपा अध्यक्ष और 1997 से 2000 तक मध्य प्रदेश भाजपा प्रमुख रहे।नवंबर 2000 में मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद वे छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्ष के पहले नेता बने। साय 2017 में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) के अध्यक्ष बने।