नई दिल्ली। कन्याकुमारी से कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा के बाद क्या एक बार फिर राहुल गांधी की पश्चिम से पूर्वोत्तर के राज्यों को जोड़ने वाली यात्रा शुरू होगी। सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की इसलिए जोरों पर है कि कांग्रेस के कभी गढ़ माने जाने वाले उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर के राज्यों से यात्रा अछूती रह गई है। राजनीतिक विश्लेषक भी मानते हैं कि सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें देने वाले उत्तर प्रदेश और बिहार समेत पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर जैसे राज्यों में राहुल गांधी का पहुंचना कांग्रेस के लिए बूस्टर डोज जैसा हो सकता है। हालांकि कांग्रेस पार्टी की ओर से अभी इस बारे में खुलकर कुछ नहीं कहा जा रहा है।
बड़ा होना चाहिए था यात्रा का दायरा
राहुल गांधी की साढ़े तीन हजार किलोमीटर की यात्रा सात सितंबर को कन्याकुमारी से शुरू हुई थी, जो अगले कुछ दिनों में कश्मीर में जाकर समाप्त होगी। राहुल गांधी अपनी यात्रा के दौरान उत्तर से दक्षिण के ज्यादातर राज्यों में तो गए हैं, लेकिन देश के बहुत से राज्य अभी भी राहुल गांधी की इस भारत जोड़ो यात्रा से अछूते रह गए। अब चर्चा इस बात की हो रही है कि राहुल गांधी की यात्रा उत्तर प्रदेश के महज चार जिलों से होकर क्यों गुजर रही है। राजनीतिक विश्लेषक प्रेमचंद्र तोमर कहते हैं कि उत्तर प्रदेश जैसे मजबूत सियासी राज्य में राहुल गांधी की यात्रा का दायरा निश्चित रूप से बड़ा होना चाहिए था। तोमर कहते हैं कि ऐसा करके राहुल गांधी पार्टी को न सिर्फ उत्तर प्रदेश में मजबूत कर सकते थे, बल्कि कमजोर संगठन को भी नई ऊर्जा से भर सकते थे। सियासी जानकार कहते हैं कि राहुल गांधी की उत्तर प्रदेश से गुजरने वाली यह भारत जोड़ो यात्रा फिलहाल राजनैतिक लिहाज से उत्तर प्रदेश में पार्टी को कोई फायदा नहीं पहुंचाने वाली है। इसलिए बेहतर है कि पार्टी के संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करके भारत जोड़ो यात्रा अगर दूसरे चरण में शुरू होती है तो उसको उत्तर प्रदेश समेत बिहार और पश्चिम बंगाल से लेकर पूर्वोत्तर के राज्यों में जरूर जाना चाहिए।
राजनीतिक विश्लेषक ओपी सिंह कहते हैं कि कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा जिन राज्यों से होकर गुजर रही है, वहां पर मिलने वाले जनसमर्थन से पार्टी गदगद भी है। सिंह कहते हैं कि ऐसा होना लाजमी भी है जब जनसमूह एक नेता को देखने सुनने और उसके साथ जुड़ने का प्रयास करता है, तो पार्टी का मनोबल बढ़ता ही है। इसी जनसमर्थन के सहारे पार्टी अपना राजनीतिक जनाधार मजबूत करने का ताना-बाना भी बुनती है। वह भी मानते हैं कि जिस तरीके से भारत जोड़ो यात्रा उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों से होकर के गुजर रही है, उससे पार्टी को सियासी स्तर पर बहुत लाभ नहीं मिलने वाला है। इसलिए बेहतर है कि जन सरोकार के मुद्दों के साथ-साथ अगर राजनीतिक दृष्टिकोण से भी राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को उन राज्यों से होकर निकाला जाए जहां पर अभी राहुल गांधी नहीं पहुंचे हैं, तो निश्चित तौर पर उसका सियासी फायदा पार्टी को मिल सकता है।
शुरू होगा भारत जोड़ो यात्रा का दूसरा चरण?
हालांकि सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की जरूर हो रही है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का दूसरा चरण एक बार फिर से शुरू हो सकता है। चर्चाओं के मुताबिक यह चरण पश्चिमी राज्य या फिर यूपी से शुरू होकर बिहार, पश्चिम बंगाल, और पूर्व के कुछ राज्यों से गुजरते हुए पूर्वोत्तर के अंतिम राज्य तक पहुंचेगा। कांग्रेस से जुड़े एक वरिष्ठ नेता ने कुछ समय पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात का जिक्र भी किया था कि राहुल गांधी की भारत यात्रा का दूसरा चरण संभवतया शुरू होगा। उस शुरू होने वाले चरण में जिन राज्यों में भारत जोड़ो यात्रा नहीं पहुंची है, वहां पर जाने का जिक्र किया गया था। हालांकि कांग्रेस पार्टी से जुड़े वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक अभी तक दूसरे चरण को लेकर कुछ चर्चा नहीं हुई है। लेकिन कांग्रेस के ही कई वरिष्ठ नेता यह मानते हैं कि जिस तरीके से राहुल गांधी की पहले चरण की भारत जोड़ो यात्रा सफल होती दिख रही है, उससे दूसरे चरण की भारत जोड़ो यात्रा की उम्मीदें बढ़ गई हैं। कांग्रेस से जुड़े एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि अगर भारत जोड़ो यात्रा राहुल गांधी की बचे हुए राज्यों से भी गुजरती है, तो कांग्रेस 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों में बहुत मजबूती के साथ चुनावी मैदान में अपना परचम लहराने के लिए उतरेगी।
वहीं दूसरी और कांग्रेस के कुछ दूसरे वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि भारत जोड़ो यात्रा के दूसरे चरण के लिए अब इतना वक्त नहीं बचा है। क्योंकि पहले चरण की साढ़े तीन हजार किलोमीटर की यात्रा में ही एक अच्छा खासा वक्त लगा है। अब अगर दूसरे चरण की यात्रा में भी उतना ही वक्त लगाया जाएगा, तो 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले की तैयारियों में संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने में वक्त नहीं मिलेगा। पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी कहते हैं कि उनके पास भारत जोड़ो यात्रा के समाप्त होने के बाद हाथ से हाथ जोड़ो अभियान समेत कई अन्य बड़े अभियान भी शामिल हैं। जिसमें पार्टी के सभी बड़े नेता अलग-अलग राज्यों में जाकर न सिर्फ जनता से रूबरू होंगे, बल्कि पार्टी के नए स्वरूप में बन रहे संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने के लिहाज से भी बैठकों का दौर शुरू करेंगे।