रायपुर। छत्तीसगढ़ में आरक्षण विधेयक राजभवन पहुंचकर अटक गया है। लगभग 1 महीने बीतने को हैं, लेकिन राज्यपाल ने अपनी आपत्तियों की वजह से विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं किए। अब भाजपा और कांग्रेस के बीच इस मुद्दे को लेकर पोस्टर वॉर शुरू हो चुकी है।
शहर के कई हिस्सों में ऐसे पोस्टर लगाए गए हैं जिनमें लिखा है कि आरक्षण विधेयक के अटक जाने के जिम्मेदार भाजपा के नेता है। इन पोस्टर्स पर कांग्रेस ने अपनी पार्टी का नाम या चिन्ह नहीं लगाया है मगर सूत्रों के मुताबिक शहर भर में इसी तरह के पोस्टर लगाने की यह सियासी रणनीति कांग्रेस की है।
ऐसा ही एक पोस्टर भारतीय जनता पार्टी के जिला कार्यालय एकात्म परिसर के पास लगाया गया है। इस पर लिखा है राजभवन संचालन केंद्र इधर है। एरो का निशान भी बना है। तेलीबांधा के चौराहे पर भी एक ऐसा ही बड़ा पोस्टर लगाया गया है । जिसमें एकात्म परिसर को राजभवन संचालन केंद्र बताया गया है। इसके अलावा प्रमुख सड़कों पर खंभों पर छोटे-छोटे पोस्टर लगाए गए हैं।
मुख्यमंत्री विधिक सलाहकार को बता चुके हैं भाजपाई
पिछले करीब 1 सप्ताह से मुख्यमंत्री आरक्षण विधेयक के मसले पर भाजपा पर जमकर बरस रहे हैं। उन्होंने राजभवन में काम करने वाले राज्यपाल के विधिक सलाहकार को भाजपाई तक बता दिया। मुख्यमंत्री ने हाल ही में कहा था कि राजभवन में बैठने वाले विधिक सलाहकार एकात्म परिसर के निर्देशों पर काम करते हैं इसीलिए आरक्षण विधेयक लटका हुआ है।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि भाजपा के लोग जानबूझकर राज्यपाल और विधिक सलाहकार के जरिए आरक्षण विधेयक रोकने का काम कर रहे हैं । इसके बाद से कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर भी भारतीय जनता पार्टी के दफ्तर को राजभवन संचालन केंद्र बताना शुरू कर दिया था।
इन कानूनों से मिलेगा आरक्षण
छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण) संशोधन विधेयक और शैक्षणिक संस्था (प्रवेश में आरक्षण) संशोधन विधेयक पारित हुआ है। इन दोनों विधेयकों में आदिवासी वर्ग-ST को 32%, अनुसूचित जाति-SC को 13% और अन्य पिछड़ा वर्ग-OBC को 27% आरक्षण का अनुपात तय हुआ है। सामान्य वर्ग के गरीबों को 4% आरक्षण देने का भी प्रस्ताव है। इसको मिलाकर छत्तीसगढ़ में 76% आरक्षण हो जाएगा।
जिलों में 88% तक हो सकता है आरक्षण
राज्य सरकार ने इस विधेयक में पहली बार जिला कॉडर के पदों पर आरक्षण का निर्धारण कर दिया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बताया, जिलों में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर अनुसूचित जाति और जनजाति को संबंधित जिले में उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण दिया जाएगा। अन्य पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण मिलेगा। वहीं सामान्य वर्ग के गरीबों को अलग-अलग जिलों में 4 से 10% तक आरक्षण मिलेगा। अभी तक जिला कॉडर का आरक्षण एक शासनादेश के जरिये दिया जाता रहा है। उच्च न्यायालय ने 19 सितम्बर के आदेश में यह आरक्षण अवैध बताकर सरगुजा संभाग के जिलों में खारिज कर दिया था। अब नई व्यवस्था की वजह से किसी-किसी जिले में आरक्षण की सीमा 88% तक हो जाएगी।
19 सितम्बर तक 58% था आरक्षण
छत्तीसगढ़ की सरकारी नौकरियों और शिक्षा में अभी 19 सितम्बर तक 58% आरक्षण था। इनमें से अनुसूचित जाति को 12%, अनुसूचित जनजाति को 32% और अन्य पिछड़ा वर्ग को 14% आरक्षण था। इसके साथ कुछ हद तक सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए 10% आरक्षण की व्यवस्था थी। 19 सितम्बर को आए बिलासपुर उच्च न्यायालय के फैसले से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण खत्म हो गया। उसके बाद सरकार ने नया विधेयक लाकर आरक्षण बहाल करने का फैसला किया।