छत्तीसगढ़ः आदिवासी नेताओं से नहीं मिलीं राज्यपाल, मंत्री बोले- विधेयक लौटा दें या राष्ट्रपति को भेजें,समाज के लोगों ने कहा-जो संविधान में लिखा वही मांग रहे

रायपुर। प्रदेश में आरक्षण पर अब बवाल बढ़ चुका है। मामला इस कदर बिगड़ गया है कि एक बार फिर से आदिवासी समाज आंदोलन का रुख अख्तियार कर चुका है। सरकार की ओर से प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राज्यपाल की ओर से विधेयक पर हस्ताक्षर न किए जाने पर नाराज हैं।

मंत्री रविंद्र चौबे ने तो विधेयक लौटा देने की बात भी कह दी। मंगलवार को प्रदेशभर से आए आदिवासी समाज के लोगों ने रायपुर में धरना दिया। सर्व आदिवासी समाज के लोगों ने राजभवन का घेराव करने रैली भी निकाली। पुलिस ने रैली को सप्रे स्कूल के पास रोक दिया।

प्रशासनिक अफसरों ने तय किया कि एक प्रतिनिधि मंडल राजभवन जाएगा। मगर इस प्रतिनिधि मंडल को राज्यपाल ने मिलने का वक्त नहीं दिया। खबर आई कि राज्यपाल की तबीयत ठीक नहीं है। मगर चर्चा ये भी है कि अब आरक्षण के मामले में अलग-अलग वर्गों से मुलाकात करने से राज्यपाल बच रही हैं। ये सारा बखेड़ा इस वजह से खड़ा हुआ है क्योंकि आरक्षण विधेयक 2 दिसंबर से राज्यपाल के पास है और इस पर उन्होंने हस्ताक्षर नहीं किए हैं।

सर्व आदिवासी समाज 32 फीसदी आरक्षण की मांग कर रहा है। समाज युवा प्रकोष्ठ के प्रदर्शन में समाज के नेता और सरकार में मंत्री अमरजीत भगत, अनिला भेड़िया, कवासी लखमा, प्रेमसाय सिंह, विधायक केके ध्रुव, शिशुपाल सोरी, युवा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष कुंवर सिंह और साथी शामिल हुए।

जो संविधान में लिखा है वही मांग रहे
आदिवासी समुदाय के नेता पूर्व सांसद अरविंद नेताम ने रायपुर में मीडिया से इस मसले पर चर्चा की। उन्होंने कहा- हम कोई अलग चीज देने की मांग नहीं कर रहे, जो संविधान में लिखा है वही मांग रहे हैं। बाबा साहब ने लिखा है कि जितनी आबादी हो उतना आरक्षण दिया जाए। राज्यपाल के विशेषाधिकार पर है कि वो विधेयक पर कब साइन करेंगी, मगर जल्द से जल्द इस पर उन्हें फैसला करना चाहिए।

समाज ने राज्यपाल को जो ज्ञापन भेजा उसमें क्या है
राज्यपाल के नाम सर्व आदिवासी समाज के लोगों ने एक ज्ञापन भी सौंपा है। इस ज्ञापन में समाज ने कहा है कि हम 32 प्रतिशत आरक्षण का अधिकार चाहते हैं। विधेयक पर हस्ताक्षर न होने की वजह से आरक्षण रोस्टर की स्थिति शून्य हो गई है। भर्तियां रुक गई हैं। हजारों युवाओं के सामने रोजगार का संकट पैदा हो रहा है इसलिए बिना देरी किए इस संशोधन विधेयक पर साइन करे।

या तो विधेयक लौटा दें या राष्ट्रपति को भेज दें: मंत्री चौबे
सर्व आदिवासी समाज द्वारा आरक्षण के मुद्दे पर राजभवन घेराव से जुड़े सवाल पर मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि इतना समय बीत गया है। प्रदर्शन करना जाहिर सी बात है। सरकार ने अपनी तरफ से सब दे दिया है। राजभवन में किस कारण से रूका है, समझ नहीं आ रहा है। राज्यपाल या तो विधेयक को लौटा दें या फिर राष्ट्रपति को भेज दें।

भाजपा राजभवन जाए और सरकार के दिए जवाब पढ़ लें
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि भाजपा नेताओं को राजभवन जाकर सरकार के द्वारा राजभवन को भेजे गए 10 सवालों का जवाब पढ़ लेना चाहिए। वैसे भी सरकार विधेयक के मामले में राजभवन के सवालों का जवाब दे ऐसी कोई नियमावली नहीं है। फिर भी सरकार ने राज्यपाल के सम्मान में 10 सवालों का जवाब दिया है। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि छत्तीसगढ़ ही नहीं देश के अन्य प्रदेशों में भी राजभवन की आड़ में भारतीय जनता पार्टी अपने राजनीतिक घिनोने मंसूबे को पूरा कर रही है। राजभवन को मिले संवैधानिक अधिकारों पर अप्रत्यक्ष रूप से अतिक्रमण कर रही है। राजभवन के कार्य क्षेत्र में हस्तक्षेप कर रही है।

राज्यपाल की झिझक
राज्यपाल अनुसुइया उइके अन्य पिछड़ा वर्ग-OBC वर्ग को दिये गए 27% आरक्षण की वजह से आरक्षण विधेयकों पर हस्ताक्षर करने से हिचक रही हैं। राज्यपाल ने पहले मीडिया से बातचीत में कहा, मैंने केवल आदिवासी वर्ग का आरक्षण बढ़ाने के लिए सरकार को विशेष सत्र बुलाने का सुझाव दिया था। उन्होंने सबका बढ़ा दिया। अब जब कोर्ट ने 58% आरक्षण को अवैधानिक कह दिया है तो 76% आरक्षण का बचाव कैसे करेगी सरकार।

आरक्षण विधेयक को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, हाईकोर्ट ने 2012 के विधेयक में 58% आरक्षण के प्रावधान को अवैधानिक कर दिया था। इससे प्रदेश में असंतोष का वातावरण था। आदिवासियों का आरक्षण 32% से घटकर 20% पर आ गया। सर्व आदिवासी समाज ने पूरे प्रदेश में जन आंदोलन शुरू कर दिया। सामाजिक संगठनों, राजनीतिक दलों ने आवेदन दिया। तब मैंने सीएम साहब को एक पत्र लिखा था। मैं व्यक्तिगत तौर पर भी जानकारी ले रही थी। मैंने केवल जनजातीय समाज के लिए ही सत्र बुलाने की मांग की थी।

इन 10 सवालों का जवाब दे दिया है सरकार ने

  • संशोधित विधेयक में क्रमांक 18-19 पारित करने के पूर्व अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के संबंध में मात्रात्मक विवरण (डाटा) संग्रहित किया गया था?
  • सुप्रीम कोर्ट में इंद्रा साहनी मामले के अनुसार 50 प्रतिशत से अधिक विशेष एवं बाध्यकारी परिस्थतियों में ही आरक्षण दिया जा सकता है। अत: उक्त विशेष बाध्यकारी परिस्थिति का विवरण क्या है?
  • राज्य शासन ने हाईकोर्ट में 19 सितंबर 2022 को 8 सारणी में विवरण भेजा था, जिस पर कोर्ट ने कहा था कि ऐसा कोई विशेष प्रकरण निर्मित नहीं है, कि 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण दिया जाए। इस निर्णय के बाद ऐसी क्या विशेष परिस्थिति उत्पन्न हो गई, जिसके कारण आरक्षण की सीमा बढ़ाई गई?
  • सुप्रीम कोर्ट में इंद्रा साहनी के मामले में कहा गया था कि एससी-एसटी सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े हुए नागरिकों में आते हैं। इस संबंध में राज्य के एससी-एसटी व्यक्ति किस प्रकार पिछड़े हुए हैं?
  • मंत्री परिषद में महाराष्ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक राज्य के आरक्षण के प्रतिशत का उल्लेख है। इन राज्यों में आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक किए जाने से पहले आयोग का गठन किया गया था। छत्तीसगढ़ में इसके लिए कौन सी कमेटी गठित की गई?
  • सामान्य प्रशासन विभाग ने क्वांटिफाइबल डाटा आयोग के गठन का उल्लेख किया है, जिसकी रिपोर्ट शासन के पास है। यह रिपोर्ट राजभवन में प्रस्तुत क्यों नहीं की गई?
  • सामान्य प्रशासन विभाग ने विभागीय प्रस्ताव अर्थात प्रस्तावित संशोधन के संबंध में शासन के विधि एवं विधायी कार्य विभाग का अभिमत अपेक्षित होना लिखा है। छत्तीसगढ़ लोक सेवा अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन में शासन के विधि एवं विधायी कार्य विभाग का क्या अभिमत है?
  • विधेयक में नवीन धारा स्थापित कर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 4 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने का प्रावधान किया गया है। क्या शासन को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए संविधान के अनुच्छेद 16(6) के तहत पृथक से अधिनियम लाना चाहिए था?
  • हाईकोर्ट में राज्य शासन ने बताया है कि एससी-एसटी के व्यक्ति कम संख्या में चयनित हो रहे हैं। ऐसे में यह बताएं कि एससी-एसटी राज्य की सेवाओं में क्यों चयनित नहीं हो रहे हैं?
  • एसटी को 32, ओबीसी को 27, एससी को 13, इस प्रकार कुल 72 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है। यह आरक्षण लागू करने से प्रशासन की दक्षता का ध्यान रखा गया और क्या इस संबंध में कोई सर्वेक्षण किया गया है?