रायपुर। छत्तीसगढ़ के खनिज विभाग से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में विशेष अदालत ने मुख्यमंत्री कार्यालय की उप सचिव सौम्या चौरसिया को न्यायिक रिमांड पर जेल भेजने का आदेश दिया है। उनको अब 19 दिसम्बर को फिर से अदालत में पेश किया जाएगा। इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय-ED की रिमांड खत्म होने के बाद एजेंसी ने उसे रायपुर की विशेष अदालत में पेश किया।
प्रवर्तन निदेशालय ने 11 अक्टूबर को प्रदेश के कई अफसरों और कारोबारियों के 75 ठिकानों पर छापा मारा था। प्रारंभिक जांच और पूछताछ के बाद 13 अक्टूबर को इस मामले में छत्तीसगढ़ इंफोटेक प्रमोशन सोसाइटी-चिप्स के तत्कालीन CEO समीर विश्नोई, कोयला कारोबारी सुनील अग्रवाल और वकील और कारोबारी लक्ष्मीकांत तिवारी को गिरफ्तार किया था। उनको 14 दिन की ED रिमांड में पूछताछ के बाद न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया है। 29 अक्टूबर को इस मामले में एक अन्य आरोपी सूर्यकांत तिवारी ने अदालत में समर्पण कर दिया।
10 दिन की पूछताछ के बाद सूर्यकांत को भी न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। तबसे चारों आरोपी जेल में बंद हैं। इस बीच ED की दूसरे अफसरों और कारोबारियों से पूछताछ जारी रही। लगातार कई दिनों की पूछताछ के बाद ED ने 2 दिसम्बर को राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी सौम्या चौरसिया को गिरफ्तार किया। उनपर बेनामी संपत्ति की खरीदी-बिक्री से काला धन खपाने का आरोप लगाया गया है। पहले उनको 6 दिसम्बर तक ED की हिरासत में भेजा गया था।
उसके बाद 10 दिसम्बर तक फिर 14 दिसम्बर तक के लिए ED को कस्टडी मिली। इस तरह ED ने सौम्या से हिरासत में 14 दिनों तक पूछताछ की है। अब उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया है। अदालत में ED की ओर से कहा गया, सौम्या चौरसिया के बाहर रहने से सबूतों और गवाहों को प्रभावित करने की आशंका बढ़ जाएगी। बचाव पक्ष के वकील फैजल रिजवी ने बताया कि उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। 19 दिसम्बर को उनको फिर से अदालत के सामने पेश किया जाना है।
आरोपितों की 152.31 करोड़ रुपये की 91 संपत्ति अटैच
इससे पहले उपसचिव सौम्या चौरसिया, आइएएस समीर बिश्नोई, कारोबारी सूर्यकांत तिवारी समेत पांचों आरोपितों की 152.31 करोड़ रुपये की 91 संपत्ति कोर्ट ने अटैच कर दी है। यह कार्रवाई 25 रुपये प्रति टन कोयले पर कमीशन (सरकारी एक्सटार्शन) मामले में की गई है। ईडी ने शनिवार को पांचों आरोपितों को कोर्ट में पेश किया। सुनवाई के बाद चारों आरोपितों बिश्नोई, सूर्यकांत, लक्ष्मीकांत तिवारी और सुनील अग्रवाल को 13 जनवरी तक के लिए जेल भेज दिया गया। वहीं सौम्या चौरसिया की चार दिन की ईडी रिमांड स्वीकृत की गई थी।
ईडी के अधिवक्ता सौरभ पांडेय पांडेय ने बताया कि ईडी के परिवाद में उल्लेख किया गया है कि वरिष्ठ अधिकारियों, व्यापारियों, राजनेताओं और बिचौलियों से जुड़े एक शख्स ने मिलकर घोटाले को अंजाम दिया है। बता दें कि ईडी ने शुक्रवार को कोर्ट में आठ हजार पन्नों की चार्जशीट पेश की है। शनिवार को भी बोरों व डिब्बों में दस्तावेज लेकर पहुंची थी। कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगली बार सभी आरोपियों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेश किया जाए। कोर्ट ने अति आवश्यक होने पर ही कोर्ट लाने के निर्देश दिए हैं।
बताया जाता है कि अटैच की संपत्तियों में से सबसे अधिक 65 संपत्तियां कारोबारी सूर्यकांत तिवारी से जुड़ी हुई हैं। उपसचिव सौम्या चौरसिया से जुड़ी 21 संपत्तियां और निलंबित आइएएस समीर विश्नोई से जुड़ी पांच संपत्तियां हैं। शेष संपत्तियां सुनील अग्रवाल और लक्ष्मीकांत तिवारी से जुड़ी हुई हैं। इन संपत्तियों में कैश, आभूषण, फ्लैट, कोलवाशरी और भूखंड शामिल हैं। कोयला परिवहन में अवैध वसूली के इस गिरोह ने बेनामी संपत्ति बनाने के लिए अपने रिश्तेदारों का इस्तेमाल किया है। इन जमीनों को खरीदने के सौदे न्यूनतम चेक राशि पर किए गए थे। वसूली से बड़ी मात्रा में आई नगदी को इन संपत्तियों को खरीदने के लिए उपयोग किया गया।