कोरबा I कोरबा जिले में मां की मौत के 15 दिन बाद मेडिकल कॉलेज में नवजात ने भी दम तोड़ दिया। वहीं बच्चे की चाची उसके शव को लेकर मंगलवार सुबह से लेकर शाम तक बैठी रही, लेकिन उसे मुक्तांजलि वाहन मुहैया नहीं कराया गया। उसने कई बार अस्पताल में गुहार लगाई, लेकिन सिस्टम के आगे सभी लाचार दिखे।
बच्चे की चाची अमली बाई ने बताया कि धरमजयगढ़ (रायगढ़ जिला) की रहने वाली कलावती की मौत 30 अक्टूबर को हो गई थी। बच्चे के जन्म के थोड़ी ही देर के बाद उसने दम तोड़ दिया था। जिसके बाद वे लोग बच्चे को अपने पास कोरबा जिले के गुरमा गांव में ले आए थे। मां की मौत हो चुकी थी, इसलिए नवजात बच्चे के पालन-पोषण के लिए रिश्तेदार उसे अपने पास रखे हुए थे। थोड़े दिन के बाद बच्चे ने दूध पीना बंद कर दिया था। जिसके बाद उसे मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। 15 नवंबर को बच्चे ने भी दम तोड़ दिया, लेकिन उसे गांव तक ले जाने के लिए कोई गाड़ी उपलब्ध नहीं कराई गई।
बच्चे की चाची ने कहा कि उनकी आर्थिक स्थिति काफी कमजोर है, जिसके कारण वे निजी वाहन किराये पर नहीं कर सकते थे। इसलिए मुक्तांजलि वाहन के इंतजार में उन्हें सुबह से लेकर शाम तक शव को लेकर अस्पताल में ही बैठना पड़ा। महतारी एक्सप्रेस सर्विस के प्रमुख राज गेहानि से जब इस बारे में बातचीत की गई, तो उनका कहना था कि केवल मां और बच्चे के ट्रांसपोर्टेशन की जिम्मेदारी हमारी है, डेड बॉडी की नहीं। हालांकि अधिकारियों को जब इस बारे में पता चला, तो उन्होंने आनन-फानन में मुक्तांजलि वाहन की व्यवस्था कर परिजनों और बच्चे के शव को उनके गांव तक पहुंचाया।