अंबिकापुर।राष्ट्रीय स्वयं संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि हम सबके पूर्वज समान हैं। आज का विज्ञान DNA मैपिंग के बाद कहता है कि 40 हजार साल पहले से जो अखंड भारत था, काबुल के पश्चिम से छिंदविन नदी के पूर्व तक और चीन की तरफ की ढलान से श्रीलंका के दक्षिण तक,जो मानव समाज आज है, उन सबका DNA समान है। छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में अपने संबोधन में भागवत ने संघ के बारे में व्यापक जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि हमको वेदों ने भी यही सिखाया कि अपनी-अपनी पूजा पर पक्के रहो। अपनी-अपनी भाषा है, उसे बोलो, उस भाषा का विकास करो। अपना-अपना खान-पान है, वो उस भौगोलिक क्षेत्र के लिए उचित है। उस पर भी पक्के रहो। देश में संघ को छोड़कर ऐसी कोई संस्था नहीं, जिसने देश को एक करने का इतना प्रयास किया हो।
संबोधन के दौरान मोहन भागवत।
पीजी कॉलेज मैदान में हुआ कार्यक्रम
दरअसल, संघ प्रमुख 2 दिन के दौरे पर छत्तीसगढ़ पहुंचे थे। पहले दिन वो जशपुर जिले के दौरे पर थे। अब मंगलवार को सरगुजा जिले के जिला मुख्यालय अंबिकापुर पहुंचे। यहां वो संघ के कार्यक्रम में शामिल हुए। उनके उद्बोधन से पहले पथ संचलन कर सैकड़ों स्वयंसेवक मैदान तक पहुंचे। इसमें प्रदेश भर के संघ के कार्यकर्ता और पदाधिकारी शामिल हुए। सभी कार्यकर्ता पीजी कॉलेज मैदान में जमा हुए थे। यहीं आरएसएस प्रमुख ने अपना संबोधन दिया।
मेरे आने से लोग कई तरह की बातें करते हैं
मोहन भागवत ने कहा कि मैं दूसरी बार सरगुजा आया हूं। मेरे आने से लोग तरह-तरह की बातें करते हैं। पिछले सालों में नई भर्ती भी संघ में हुई हैं। मैं इन लोगों को संघ की परंपरा, संस्कृति बताना चाहता हूं। लोगों को लगता है कि संघ पैरामिलिट्री संस्थान है, लेकिन ऐसा नहीं है, संघ में व्यायाम के तौर पर लाठियां चलाना सीखते हैं, कबड्डी खेलते हैं। उन्होंने एक कहानी सुनाते हुए कहा कि जो जैसा होता है, वह दूसरे को भी वैसा ही समझता है, संघ के बारे में भी ऐसा हो गया है, अगर संघ को समझना है तो संघ में आना पड़ेगा। यहां आने का कोई शुल्क नहीं लगता। बस आइये और समझिए कि संघ क्या कर रहा है।
कार्यक्रम में साधु-संत भी शामिल हुए।
वसुधैव कुटुंबकम को मानने वाले लोग हैं हम
भागवत ने कहा कि भारत में अलग-अलग देवी-देवताओं को मानने वाले लोग हैं, ऐसे लोग भी हैं जो किसी देवी देवता को नहीं मानते। मैं सभी से आव्हान करता हूं कि वे सभी का सम्मान करें। वेदों में भी लिखा है कि सबका सम्मान करो, हम वसुधैव कुटुंबकम को मानने वाले लोग हैं। विविधताओं के बावजूद हम एक देश हैं, राजा बदलते रहे, आक्रमणकारी आए उन्होंने राज किया, लेकिन हम आज भी वही भारत हैं, जो सनातन समय से चला आ रहा है। सबकी पूजाओं का आदर करो, सबकी पूजा उतनी ही सत्य है जितनी मेरी है,ये सोचो।
प्रदेशभर के स्वयंसेवक अंबिकापुर पहुंचे थे।
हमको जात-पात की ऊंच-नीच नहीं रखनी चाहिए
संघ प्रमुख ने कहा कि सबको स्वीकार करके अपनी राह पर चलो, सिर्फ अपने स्वार्थ को मत देखो, सबका स्वार्थ पूरा हो सके, ऐसा प्रयास करो। अगर भारत पर संकट में आए तो हम एक हो जाते हैं, कोरोना में ऐसा ही हुआ, चीन पाकिस्तान से युद्ध के समय हम एक हुए। वास्तविकता यह है कि हम सब एक हैं, हमको जात पात की ऊंच नीच नहीं रखना चाहिए। संघ सामाजिक एकजुटता के लिए कार्य करता रहा है और आगे भी करता रहेगा।
कार्यक्रम के पहले पथ संचलन भी हुआ।
हिंदुत्व परंपरागत जीवन पद्धति
उन्होंने कहा कि जो जिस धर्म को मानता है उसे जबरन किसी दूसरे धर्म को मनवाने की कोशिश नहीं होनी चाहिए। धर्म, वेशभूषा, खान-पान कोई भी हो, लेकिन सभी एक हैं। संघ ने सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हिंदुत्व कोई सम्प्रदाय नहीं है, वह तो इस देश की चलती आई हुई परंपरागत जीवन पद्धति है।
जशपुर में दिलीप सिंह जूदेव की प्रतिमा का अनावरण
प्रतिमा के अनावरण के दौरान भागवत।
सोमवार को सबसे पहले मोहन भागवत ने जशपुर जिले में बिरसा मुंडा की प्रतिमा का अनावरण किया था। वे झारखंड के रांची से सड़क मार्ग से होते हुए रविवार की शाम जशपुर पहुंच गए थे। भागवत के तय कार्यक्रमों में सबसे प्रमुख दिलीप सिंह जूदेव की प्रतिमा का भी अनावरण किया। दिलीप सिंह जूदेव जशपुर राजपरिवार के प्रमुख रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी की मशहूर सियासी हस्ती रहे। आदिवासी इलाके में हिंदुत्व जागरूकता के कामों की वजह से उन्हें जाना जाता है।
संघ प्रमुख रविवार की शाम वनवासी कल्याण आश्रम में संघ की शाखा में शामिल हुए थे। इसके बाद आश्रम में होने वाली शाम की आरती में शामिल होकर, संघ प्रमुख संघ के अधिकारियों ,पदाधिकारियों और स्वयंसेवियों से भेंट- मुलाकात की थी।जशपुर के वनवासी कल्याण आश्रम की ओर से सोमवार को जनजातीय गौरव दिवस समारोह का आयोजन किया गया है। इसमें मोहन भागवत मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे।
धर्मांतरण के बयान पर भूपेश बघेल का पलटवार..
इधर, छत्तीसगढ़ में एक दिन पहले मोहन भागवत ने धर्मांतरण पर चिंता जताई थी। अब प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इस पर अपने विचार रखे। धर्म बदलने में उन्होंने कोई आपत्ति नहीं जताई, बशर्ते ये जबरिया न हो। भूपेश बघेल ने आगे कहा कि, जाति तो बाय बर्थ मिलती है। उसे बदल नहीं सकते। जिस जाति में जन्म लिए उसी परिवेश में रहते हैं,उसे बदल नहीं सकते। लेकिन धर्म चुनने का अधिकार सबको है। पहले राजतंत्र था तो राजा का दंड, सिक्का और धर्म होता था इसे प्रजा मानती थी। वो समय बीत गया अब ये प्रजातंत्र में धर्म चुनने का अधिकार सबको है।