रायपुर। आज राजधानी के साइंस कॉलेज ग्राउंड में राज्योत्सव और नृत्य महोत्सव का समापन समारोह है। तीसरे दिन की शुरुआत कर्मा नृत्य के साथ हुई। महिलाओं ने गहरी नीली साड़ी पहने और सिर में कलगी लगाए आदिवासी परंपरा की झलक पेश की। दूसरे दिन बुधवार को रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें विदेशों से आए कलाकारों ने समां बांध दिया। मालदीव के कलाकारों ने बॉलीवुड सॉन्ग ‘बीड़ी जलइले जिगर से पिया’ गाकर समां बांध दिया।
छत्तीसगढ़ के लोग ये देखकर हैरान रह गए कि विदेशी कलाकार भी हिंदी गानों को कितनी अच्छी तरह से गा रहे हैं। दर्शकों ने मालदीव से आए कलाकारों के लिए खूब तालियां बजाईं और उनका उत्साह बढ़ाया। लोग कलाकारों की परफॉर्मेंस पर खूब झूमे। कार्यक्रम स्थल पर दूसरे दिन लोगों की जबरदस्त भीड़ देखने को मिली। आदिवासी नृत्य महोत्सव कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ कई कैबिनेट मंत्री और नेता मौजूद रहे।
मालदीव से आए कलाकार अपनी प्रस्तुति देते हुए।
सर्बिया के कलाकारों ने दिया म्यूजिक परफॉर्मेंस
भारत से लगभग 4000 किलोमीटर दूर सर्बिया से आए कलाकारों ने मंच पर पियानो और अन्य वाद्य यंत्र बजाकर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। विदेशी तकनीक और यंत्रों से निकली आवाज में लोगों को कुछ नयापन दिखा। साथ ही इनके टीम के अन्य सदस्यों ने पारंपरिक डांस कर लोगों का मनोरंजन किया।
विदेशी कलाकारों की शानदार प्रस्तुति।
न्यूजीलैंड के कलाकार बोले- ‘छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया’
न्यूजीलैंड देश के आदिवासी कलाकारों ने मंच पर पारंपरिक वेशभूषा में डांस किया। उन्होंने अपनी परफॉर्मेंस के अंत में मंच से छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया का नारा लगाया। इसके बाद उन्होंने अपने हाका लोकपरम्परा में दर्शकों अभिवादन किया। इसके साथ ही उन्होंने अपनी भाषा में छत्तीसगढ़ के लोगों के साथ दोस्ती करने की इच्छा जाहिर की। इसके अलावा मंगोलिया, इंडोनेशिया जैसे देशों के नृतक दलों ने भी अलग-अलग अंदाज में प्रस्तुतियां दी।
सिक्किम का तमांगशेलो नृत्य।
लोगों की भारी भीड़, एक किलोमीटर तक दिखी पार्किंग
राज्योत्सव के दूसरे दिन एनआईटी से गोल चौक जाने वाले मार्ग पर एकलव्य मैदान तक बाइक और कारों की लंबी पार्किंग देखने को मिली। सरस्वती शिशु मंदिर वाली सड़क पर भी गाड़ियों की लंबी-लंबी कतारें दिखीं। इसके साथ ही विभिन्न विभागों के स्टॉल और कार्यक्रम के एग्जिट गेट के पास भी भारी भीड़ नजर आई।
छत्तीसगढ़ के कलाकार भुंजिया नृत्य पर प्रस्तुति देते हुए।
भारत के आदिवासी दलों ने भी दी सुपरहिट परफॉर्मेंस
मेघालय की गारो जनजाति ने वांगला नृत्य का प्रदर्शन किया। यह डांस दाना नाम के म्यूजिक यंत्र को बजाकर किया। इनका मानना है कि ईश्वर को हम धन्यवाद दे रहे हैं। वहीं असम के कलाकारों ने बालमफा डांस किया। इसके अलावा तेलंगाना, सिक्किम, आंध्र प्रदेश, राजस्थान जैसे राज्यों के भी पारंपरिक नृत्यों ने छत्तीसगढ़ के राज्योत्सव प्रोग्राम में चार चांद लगा दिए। इसके अलावा छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के पारंपरिक भुंजिया डांस ने भी लोगों का खूब मनोरंजन किया।