रायपुर। हिंदू धर्म की संन्यास परंपरा में सबसे बड़े पद शंकराचार्य पर नई नियुक्ति पर विवाद गहराता जा रहा है। पुरी पीठ के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने ज्योतिष पीठ पर नव नियुक्त अविमुक्तेश्वरानंद को धर्माचार्य मानने से भी इनकार कर दिया है। उन्होंने रायपुर में कहा, धर्माचार्य नियुक्त होने के लिए योग्यता चाहिए।
रायपुर के शंकराचार्य आश्रम-श्री सुदर्शन संस्थान में पत्रकारों के सवाल पर निश्चलानंद सरस्वती ने शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद को धर्माचार्य मानने से भी इनकार कर दिया। उन्होंने पूछा कि धर्माचार्य की परिभाषा क्या होती है? किसने उन्हें धर्माचार्य का प्रमाणपत्र दिया? मैं किसी व्यक्ति की बात नहीं करता। वे जब छह साल के थे तब से उन्हें जानता हूं। उनको शंकराचार्य का प्रमाणपत्र किसने दिया। धर्माचार्य उसे कहते हैं जो धर्म को विधिवत जानता हो, उसका पालन करता हो, विश्व के सामने धर्म को प्रस्तुत करने की क्षमता हो, समाज को सन्मार्ग पर ले जाने का बल और सामर्थ्य हो तभी वह धर्माचार्य होगा।
रायपुर पहुंचे हुए हैं निश्चलानंद सरस्वती।
स्वामी निश्चलानंद से स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की एक जमानत याचिका खारिज हो जाने को लेकर सवाल हुआ था। उन्होंने कहा, ऐसा जीवन होना चाहिए कि न्यायपालिका उसका अनुगमन करे। पिछले महीने ज्योतिष-शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के निधन के बाद उनके दो शिष्यों अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और सदानंद सरस्वती को दोनों पीठों का शंकराचार्य घोषित कर दिया गया। इसके बाद से ही धार्मिक क्षेत्र में बहस तेज हो गई है। कई विद्वानों का कहना है कि शंकराचार्य पद पर नियुक्ति वसीयत से नहीं हो सकती। इसके लिए शास्त्रार्थ आदि की प्रक्रिया पूरी कराई जानी चाहिए।
अविमुक्तेश्वरानंद की नियुक्ति पर उठाए सवाल।
शाक्य बुद्ध को अवतार मानने से भी इनकार
शंकराचार्य ने बौद्ध धर्म के प्रवर्तक गौतम बुद्ध को भगवान विष्णु का अवतार मानने से इनकार किया। उन्होंने कहा, भागवत आदि ग्रंथों में जिस बौद्धावतार की बात कही गई है वह दूसरे बुद्ध हैं। हमारे शास्त्रों में जिस बुद्ध का वर्णन है वह ब्राह्मण कुल में उत्पन्न हुए। वे पहले हुए। दूसरे वाले का जन्म नेपाल की तराई में क्षत्रीय कुल में हुआ। दोनों में एक ही समानता है कि उनका गोत्र गौतम है।
कार्यक्रम में शामिल होने जाते हुए निश्चलानंद सरस्वती।
आरक्षण को हिंदुओं को ठगने का प्रयास बताया
एक सवाल के जवाब में शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा, हिंदुओं को आरक्षण के नाम पर अल्पसंख्यक बनाए जाने की विधा चल रही है। उन्होंने राजनेताओं को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि आरक्षण के नाम पर हिंदुओं को ठगने का प्रयास किया जा रहा है।
निश्चलानंद सरस्वती को सुनने लोगों की भीड़।
धर्म निरपेक्षता पर भी जताई आपत्ति
शंकराचार्य के कहा कि सेकुलर का अर्थ धर्मनिरपेक्ष है, मेरे प्रश्न का उत्तर कोई दे दे ,मैं बहुत प्रसन्न हो जाऊंगा। कोई वस्तु या व्यक्ति बताइए जो धर्मनिरपेक्ष हो। योग दर्शन का एक सूत्र है “शब्द ज्ञान नुपाती वस्तुशून्यो विकल्प:” बंध्यापुत्र, खरगोश के सिंग मात्र शब्द होते हैं इसका कोई अर्थ नहीं होता। इसी प्रकार धर्मनिरपेक्ष एक शब्द मात्र है। कोई व्यक्ति या वस्तु धर्मनिरपेक्ष नहीं है। प्यासे व्यक्ति की पानी पीने में प्रीति प्रवृत्ति क्यों होती है क्योंकि पानी अपने गुण धर्म का त्याग नहीं करेगा। सर्दी में ढिठुरता व्यक्ति आग क्यों तापना चाहता है क्योंकि आग अपने गुण धर्म का त्याग नहीं करती।