रायगढ़। जिले में गुरुवार को लोगों ने हाथ में तख्ती लेकर शवयात्रा निकाली। यहां 12 घंटे के भीतर दो लोगों की आत्महत्या से शहरवासियों में आक्रोश है। बुधवार शाम को जहां बालाजी डोर फर्म के संचालक के कारोबारी बेटे मयंक मित्तल (34 वर्ष) ने खुदकुशी कर ली, तो वहीं गुरुवार सुबह व्यवसायी बादशाह मुनव्वर (54 वर्ष) ने आत्महत्या कर ली। घटना कोतवाली थाना क्षेत्र की है।
शहरवासियों ने कारोबारी मयंक मित्तल की शवयात्रा में ‘मित्तल परिवार इंसाफ मांगता सटोरियों पर कार्रवाई चाहता’ लिखी हुई तख्ती पकड़े हुए थे। उन्होंने सटोरियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। जानकारी के मुताबिक, रविवार को हुए भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच में मयंक मित्तल ने सट्टा लगाया था, जिसमें वे 1 करोड़ की राशि हार गए थे। इसके बाद 26 अक्टूबर की शाम मालधक्का रोड स्थित घर पर कारोबारी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। लोगों ने पुलिस पर क्रिकेट सट्टे पर कोई कार्रवाई नहीं करने के आरोप लगाए।
कारोबारी मयंक मित्तल की शवयात्रा।
लोगों ने आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस के संरक्षण में सट्टा कारोबार फलफूल रहा है। लोगों ने कहा कि सट्टे में 1 करोड़ की धनराशि हार जाने से हताश कारोबारी ने मौत को गले लगा लिया। तख्ती पर ‘जुआ सट्टा बंद हो’, ‘क्रिकेट खाईवालों को तत्काल पकड़ो’ जैसी बातें भी लिखी हुई थी। इधर पुलिस ने मयंक मित्तल के केस में तो सट्टे की बात मानी है, लेकिन दूसरे कारोबारी बादशाह मुनव्वर खान की आत्महत्या के पीछे पारिवारिक विवाद बता रही है, जबकि लोगों ने साफ कहा कि मुनव्वर को भी क्रिकेट मैच में सट्टा लगाने की लत थी और उसने भी अपनी जान इसमें रुपए हार जाने के कारण ली है।
कारोबारी मयंक मित्तल ने ली अपनी जान।
बादशाह मुनव्वर खान की लाश गुरुवार सुबह बाघ तालाब चांदमारी के पास एक पेड़ पर फांसी के फंदे से लटकी हुई मिली। दोनों मामलों में पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। कोतवाली थाना प्रभारी शनिप रात्रे ने कहा कि मामले की जांच के बाद ही स्पष्ट तौर पर कुछ कहा जा सकेगा। वहीं सोशल मीडिया पर आत्महत्या के दोनों मामले तेजी से वायरल हो रहे हैं।
बादशाह मुनव्वर खान की फांसी पर लटकी लाश मिली।
भाजपा ने की उच्चस्तरीय जांच की मांग
रायगढ़ जिला भाजपा अध्यक्ष उमेश अग्रवाल ने कहा कि सट्टा एक सामाजिक बुराई है और युवा वर्ग इसकी गिरफ्त में फंसकर असमय आत्महत्या करने के लिए विवश हो रहा है। उन्होंने युवाओं से अपील करते हुए कहा कि इसे नहीं खेलें, क्योंकि ये मानसिक तनाव की वजह है। उन्होंने कहा कि पिछले 4 सालों में आधा दर्जन मामले आत्महत्या के ऐसे हैं, जो क्रिकेट सट्टा से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।
वहीं अग्रवाल समाज से जुड़े युवा भाजपा नेता और पूर्व भाजयुमो जिलाध्यक्ष विकास केडिया ने भी इस घटना को लेकर अपनी शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा है कि इस असीम दुख की घड़ी में उनकी पूरी सहानुभूति मृतक के परिजनों के साथ है और वे मृतक के परिजनों को न्याय दिलाने की लड़ाई में पूरी तरह से उनके साथ हैं।
लोगों में सट्टे को लेकर आक्रोश, पुलिस पर भी आरोप।
सट्टेबाजी भारत में लीगल नहीं
इन घटनाओं से सट्टेबाजी एक बार फिर चर्चा में आ गई है। बरसों से ऑफलाइन के साथ ही ऑनलाइन सट्टेबाजी भी खिलाई जा रही है। भारत में ही भले ही यह कानूनी तौर पर वैध नहीं है, लेकिन फिर भी बड़ी संख्या में भारत में क्रिकेट का सट्टा खेला जाता है। करीब 3 साल पहले 2019 में फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) की रिपोर्ट आई थी, जिसके मुताबिक भारत में सट्टेबाजी का कारोबार 3 लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा का है। यह राशि करीब-करीब उस वक्त के भारत के रक्षा बजट के बराबर थी।
तख्ती लेकर इंसाफ की मांग।
भारतीय सट्टेबाजी कानून के बारे में भ्रम
द इंडियन कॉन्ट्रैक्ट एक्ट 1872 की धारा 30 में कहा गया है कि ‘दांव के माध्यम से समझौते अवैध हैं’, लेकिन भारतीय अनुबंध अधिनियम ने दांव शब्द को परिभाषित नहीं किया है कि जिसकी वजह से भ्रम की स्थिति पैदा होती है। पुरस्कार प्रतियोगिता अधिनियम 1955, कुछ तरह की सट्टेबाजी पर भी चर्चा करता है, लेकिन यह ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुए के बारे में कुछ नहीं बताता है, जिसका फायदा ऑनलाइन सट्टेबाजी वाली कंपनी उठाती है। ऑनलाइन सट्टेबाजी पर वैधता और अवैधता पर कोई सटीक कानून नहीं है।
भारत में सट्टेबाजी पर स्पष्ट कानून नहीं।
लोढ़ा पैनल ने सट्टेबाजी को वैध करने की सिफारिश की थी
2013 में आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग की जांच के लिए गठित लोढ़ा पैनल ने सिफारिश की थी कि क्रिकेट में बेटिंग (सट्टेबाजी) को कानूनी दर्जा दे दिया जाए। कमेटी का कहना था कि सट्टेबाजों पर पूरी तरह से लगाम लगा पाना मुश्किल है, इसलिए इसे लीगल कर देना चाहिए जिससे सरकार राजस्व कमा सकती है। फिक्की की एक रिपोर्ट के मुताबिक, क्रिकेट में सट्टेबाजी को कानूनी बना देने से सरकार को हर साल 12 से 19 हजार करोड़ रुपए का राजस्व मिलेगा। अभी यह पैसा सट्टेबाजों की जेब में जाता है।
एक-एक बॉल पर भी लगता है सट्टा
क्रिकेट के सट्टे में जानकारी की गति बहुत मायने रखती है। मैच शुरू होते ही सट्टेबाज लगातार एक-दूसरे के टच में रहते हैं। कम्युनिकेशन के लिए अधिकतर वॉट्सऐप का ही इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि यह सुरक्षित होता है। सट्टा सिर्फ वास्तविक नतीजों पर ही नहीं होता, बल्कि इसमें कई फैक्टर होते हैं, जैसे एक ओवर में कितने रन आए, किस बॉलर ने कितने विकेट लिए, चौके और छक्के कितने लगे, खाली बॉल कितनी रही और रन आउट कितने हुए। इसी के चलते क्रिकेट की सट्टेबाजी में जानकारी बहुत ज्यादा मायने रखती है।