छत्तीसगढ़ः एक अधिसूचना से फंसे विश्नोई, ED ने अदालत में दिए वो दस्तावेज जिसमें बदली गई खनिज ट्रांसपोर्टिंग की व्यवस्था, पढ़िए..और क्या-क्या कहा 

रायपुर। छत्तीसगढ़ में 2009 बैच के IAS अधिकारी समीर विश्नोई को प्रवर्तन निदेशालय-ED ने कोयला कारोबारियों से मनी लॉन्ड्रिंग और आय से अधिक संपत्ति के आरोपों में गिरफ्तार किया है। इस गिरफ्तारी की भूमिका 2020 में खुद विश्नोई के हस्ताक्षर से जारी एक अधिसूचना से रखी गई। ED ने अदालत में पेश अपने दस्तावेजों में उस अधिसूचना को ‘भ्रष्टाचार का पेंडोरा बॉक्स’ बताया। कहा गया है, इस अधिसूचना ने ही खनिज परिवहन में अवैध वसूली का रास्ता खोला।

अदालत में ED की कहानी भी 15 जुलाई 2020 को जारी एक अधिसूचना से शुरू होती है। इसे खनिज संसाधन विभाग के तत्कालीन संचालक समीर विश्नोई ने जारी किया था। इस अधिसूचना ने किसी भी तरह के खनिज के परिवहन की अनुमति के लिए चल रही ऑनलाइन व्यवस्था को खत्म कर दिया।

अफसर को साथ ले जाती टीम।

अफसर को साथ ले जाती टीम।

10 अगस्त 2020 को जारी एक और अधिसूचना से खनिज परिवहन अनुमति के लिए केवल मैन्युअल पद्धति को अनिवार्य कर दिया गया। ED का कहना है, इस अधिसूचना के जरिये राज्य में पारदर्शी ऑनलाइन प्रक्रिया को खत्म कर दिया। उसके बाद खनिज शाखा से परमिट लेना अनिवार्य हो गया। इस व्यवस्था ने भ्रष्टाचार बढ़ाया। इसकी वजह से अवैध वसूली का एक बड़ा नेटवर्क खड़ा हो गया।

8 की रिमांड में हैं समीर विश्नोई।

8 दिनों की रिमांड पर हैं समीर विश्नोई।

16 महीनों में 500 करोड़
ED ने न्यायालय को बताया है, पिछले छापे के बाद मिले जिन दस्तावेजों को आयकर विभाग ने प्रवर्तन निदेशालय से साझा किया है उसमें अवैध उगाही के तथ्य हैं। उनमें कहा गया है कि 16 महीनों में ही कोयला परिवहन से 500 करोड़ रुपए की वसूली हुई। यह रकम बांटी गई।
एक डायरी में भी विश्नोई का नाम
जून 2022 में पड़े आयकर विभाग के छापों में एक डायरी मिली थी। उसमें कई जगह समीर विश्नोई को रकम देने का जिक्र है। एक पेज पर मार्च 2022 में समीर विश्नोई को 50 लाख रुपया देने की बात लिखी है। विश्नोई के घर से भी हाथ से लिखे कई ऐसे कागज मिले हैं, जिसमें रुपयों के लेन-देन का ब्यौरा दर्ज है।

कोर्ट में पहुंचे थे समीर विश्नोई।

कोर्ट में पहुंचे थे समीर विश्नोई।

सुनील अग्रवाल पर अवैध रकम खपाने का आरोप
ED के मुताबिक गिरफ्तारी कारोबारी सुनील कुमार अग्रवाल वसूली में शामिल हैं। अग्रवाल ने फरवरी 2022 में एक कंपनी बनाई। उसने जुलाई-अगस्त 2022 में दो कोल वॉशरी खरीदी। इन दोनों के मालिकों को दबाव पूर्वक कोल वॉशरी की कीमत कम रखने पर बाध्य किया गया। उसके बाद उनको बेच भी दिया गया। आरोप है, इन कोल वॉशरी के जरिए अवैध उगाही गई रकम को खपाया गया है। सुनील अग्रवाल पर दस्तावेज नष्ट करने का भी आरोप लगाया गया है।

लक्ष्मीकांत तिवारी के बताये ठिकाने से डेढ़ करोड़ मिले
ED के मुताबिक जून 2022 में आयकर विभाग के छापे में भी लक्ष्मीकांत तिवारी के यहां से 6 करोड़ 44 लाख रुपए कैश और 3 करोड़ 24 लाख रुपयों से अधिक कीमत के आभूषण बरामद हुए थे। इस बार ED 11 अक्टूबर को जब तिवारी के महासमुंद स्थित घर पहुंची तो कहा गया कि वे दो दिन पहले ही कहीं बाहर चले गए हैं। बाद में खुफिया सूचना के आधार पर तिवारी को रायपुर के एक होटल से पकड़ा गया। पूछताछ के बाद उनके बताये एक ठिकाने से डेढ़ करोड़ रुपए कैश बरामद हुआ। तिवारी की भूमिका कैश ट्रांजेक्शन और बेनामी संपत्ति को चेहरा देने में बताई गई है।