छत्तीसगढ़ः बीजेपी-RSS को सीएम का चैलेंज, बघेल बोले- एक बार नाथूराम गोडसे मुर्दाबाद बोलो, कांग्रेस देगी  राष्ट्रभक्ति का प्रमाण पत्र

कांग्रेस ने 9  से 15 अगस्त तक आजादी की गौरव यात्रा नाम से पदयात्रा निकाली थी। सोमवार को गांधी मैदान में जनसभा से इसका समापन हुआ। - Dainik Bhaskar

रायपुर। बात-बात पर राष्ट्रभक्ति और देशद्रोही का प्रमाणपत्र बांटने की भाजपा-आरएसएस की रणनीति पर कांग्रेस ने सोमवार को तीखा हमला किया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायपुर में सोमवार को कहा, आप गांधी जी को अपना रहे हो अच्छा लगता है। एक बार नाथूराम गोडसे मुर्दाबाद भी कह दो। राष्ट्रभक्ति का प्रमाणपत्र कांग्रेस दे देगी।

‘दोरंगियों के हाथ में तिरंगा’

आजादी की गौरव यात्रा के समापन पर गांधी मैदान में आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, बहुत अच्छा लगता है जब दोरंगियों के हाथ में तिरंगा दिखता है। बहुत अच्छा लगता है कि जो लोग 52 साल तक तिरंगा नहीं लगाते थे, वे अब तिरंगा लहराने लगे। हमें देशभक्ति का प्रमाणपत्र दिखाने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन इन्हें बार-बार देशभक्ति दिखानी पड़ेगी। मुख्यमंत्री का हमला यहीं नहीं रुका। उन्होंने कहा, आप गांधी को अपना रहे हैं, उनका चरखा अपना रहे हैं, उनका चश्मा, लाठी अपना रहे हें, सरदार पटेल को अपना रहे हैं, तिरंगे को अपना रहे हैं बहुत अच्छा लगता है। मैं एक बात इन दोरंगियों साथियों से कहना चाहता हूं। भाजपा और संघ के लोगों से कहना चाहता हूं कि एक बार तो नाथूराम गोडसे मुर्दाबाद बोल दो। एक बार यह बोल कर बताओ, आपकी राष्ट्रभक्ति का प्रमाण पत्र कांग्रेस दे देगी।

‘दोहरा चरित्र नहीं चलेगा’

मुख्यमंत्री ने कहा, एक तरफ जो लोग नाथूराम गोडसे का मंदिर बनाते हैं, जिसकी पूजा करते हैं, दूसरी तरफ गांधी को अपनाना चाहते हैं, यह दोहरा चरित्र नहीं चलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा, हमारे ही पुरखों ने देश की आजादी की लड़ाई लड़ी। लाठियां खाईं, जेल के सींखचों में अपनी जवानी कुर्बान की। इस देश की खातिर-यहां के लोगों की खातिर। महात्मा गांधी के बताए रास्तों पर चलते हुए लाखों कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कुर्बानी दी। मुख्यमंत्री ने कांग्रेस पदाधिकारियों के सामने गांधी जयंती पर प्रदेश भर में पदयात्रा का प्रस्ताव रखा। इस आयोजन में प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया, प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम, मंत्री जय सिंह अग्रवाल, विधायक सत्यनारायण शर्मा, धनेद्र साहू, अमितेश शुक्ला, विकास उपाध्याय, गुलाब कमरो, मोहित केरकेट्टा सहित बड़ी संख्या में कांग्रेस पदाधिकारी और कार्यकर्ता शामिल हुए।

कालापानी से पहले सावरकर क्रांतिकारी थे, बंटवारे के लिए भी वही जिम्मेदार

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, देश के बंटवारे की बात सावरकर और जिन्ना ने उठाई। गांधी, नेहरु या पटेल और आजाद यह मांग उठाने नहीं गए थे। देश का बंटवारा हुआ। लाखों लोग बेघर हुए। कितनी जाने गई, बहनों की अस्मत लूटी गई। इसके लिए कोई जिम्मेदार है, तो वह सावरकर और जिन्ना हैं। उसके अलावा कोई दूसरा नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा, सावरकर कालापानी से पहले क्रांतिकारी थे यह कहने में मुझे कोई संकोच नहीं है। लेकिन जैसे ही कालापानी की सजा हुई। अंडमान-निकोबार की जेल भेजे गए, सावरकर ने अंग्रेजों से एक दर्जन बार माफी मांगी। जेल से निकलने के बाद कभी अंग्रेजों के खिलाफ एक शब्द भी नहीं कहा। बल्कि अंग्रेजों के फूट डालो और राज करो के एजेंडे की जड़ों को सींचने का काम करते रहे।

भाजपा-संघ पर गांधी जी को बदनाम करने का आरोप लगाया

मुख्यमंत्री ने कहा, आज भाजपा के लोग कांग्रेस और उसके नेता गांधी जी को विभाजन का जिम्मेदार ठहराते हैं। गांधी जी ने इस देश को देने के अलावा लेने का काम कभी नहीं किया। इस देश की खातिर अपना सब कुछ त्याग दिया, अपने कपड़े तक त्याग कर लंगोट पहन लिया। अपना घर-बार छोड़कर आश्रम में रहने लगे। देश में साम्प्रदायिक सौहार्द बना रहे इसके लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। हे राम कहते हुए अपने प्राण त्यागे, उस संत को उस महात्मा को ये लोग बदनाम करने की कोशिश करते हैं। जिसको देश नहीं बल्कि पूरी दुनिया पूजती है, जिसके रास्ते पर चलकर केवल भारत ही नहीं, दुनिया के दर्जनों देशों ने आजादी हासिल की, उस गांधी जी को बदनाम करते हैं।

पुनिया और मरकाम ने भी भाजपा की राष्ट्रभक्ति पर सवाल उठाया

कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया और प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने भी संघ और भाजपा की राष्ट्रभक्ति पर सवाल उठाए। पीएल पुनिया ने कहा, इतिहास साक्षी है कि इन लोगों ने कभी तिरंगे को सम्मान नहीं दिया। इसे अशुभ बताया। अब बढ़चढ़कर तिरंगा रैली निकाल रहे हैं। ये लोग संविधान को भी मानने को तैयार नहीं थे। वे मनु स्मृति को संविधान बनाने की मांग करते थे। आज भी कभी-कभी ये मांग उठा देते हैं। ये लोग आज हर घर तिरंगा अभियान चला रहे हैं। वहीं प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा, जो 75 साल तक तिरंगे झंडे का विरोध करते थे। वे तिरंगे का सम्मान करने को मजबूर हुए हैं। तिरंगे की ताकत ने उन्हें मजबूर किया है। उन्होंने अपनी डीपी में तिरंगा लगाया है, अपने कार्यालय में तिरंगा फहराना पड़ा है। यह हमारी एकता की ताकत है।